सिंगरौली

महिला एवं बाल विकास विभाग की मासिक रिपोर्ट में खुलासा, ऊर्जाधानी के एक हजार बच्चे अतिकुपोषित

महिला एवं बाल विकास विभाग की मासिक रिपोर्ट में खुलासा, ऊर्जाधानी के एक हजार बच्चे अतिकुपोषित

सिंगरौलीFeb 19, 2019 / 05:38 pm

Anil kumar

Malnutrition stigma

सिंगरौली. केन्द्र व राज्य सरकारों के अथक प्रयास के बाद भी जिले से कुपोषण का कलंक नहीं मिट पा रहा है, जबकि कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सरकारें तमाम योजनाएं संचालित कर रही हैं। महिला एवं बाल विकास की जनवरी माह की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जिले के करीब एक हजार से अधिक बच्चे अति कम वजन में हैं। सबसे भयावह स्थिति देवसर ब्लॉक की है, जबकि पिछले साल बैढऩ ब्लाक की रही। इसके आधार पर विभागीय अधिकारी कुपोषण से निपटने की तैयारी मेेंं जुट गए हैं। हालांकि अभी शासन के निर्देश पर विशेष निगरानी अभियान की सर्वे रिपोर्ट नहीं आई है। फिलहाल जिम्मेदार विभागीय रिपोर्ट से चिंतित दिख रहे हैं।
योजनाएं नहीं उतरीं धरातल पर
केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों की ओर से कुपोषण से लडऩे की तमाम योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। महज सरकारी दस्तावेजों में सिमटकर रह जा रही हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों की दशा खराब बनी है। नतीजतन, कुपोषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जिले में देवसर, चितरंगी और बैढऩ ब्लॉक की 1५५० आंगनबाड़ी केन्द्रों के आने वाले गांवों में जाकर सुपरवाइजरों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बच्चों का वजन और लंबाई की माप की, जो रिपोर्ट सामने आई उसमें ० से 5 वर्ष तक के एक हजार बच्चे अतिकुपोषण की श्रेणी पाए गए हैं। रिपोर्ट में देवसर ब्लॉक में सबसे ज्यादा अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं जबकि दूसरे नंबर पर बैढऩ ग्रामीण है। अब चितरंगी तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। इधर, विभागीय अधिकारी इनको कुपोषण से मुक्ति दिलाने की कार्ययोजना में जुट
गए हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग सुमन वर्मा ने बताया कि पहले की अपेक्षा वर्तमान की स्थिति काफी ठीक है। चिंहित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया है। आंगनबाड़ी के माध्यम से पोषण आहार दिया जा रहा है, ताकि जिले कुपोषणमुक्त किया जा सके।
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