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सिंगरौली

24 लाख के पैकेज को मारी ठोकर, शुरू कर दी सिविल सेवा की तैयारी, पहली कोशिश में हुए कामयाब

आइएएस बनना है जुनून, बड़ा भाई भी है आइएएस …..

सिंगरौलीAug 04, 2020 / 10:23 pm

Ajeet shukla

Manoj Kumar of Singrauli succeeded in UPSC Civil Services Exam

Manoj Kumar of Singrauli succeeded in UPSC Civil Services Exam

सिंगरौली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा वर्ष 2019 में जिले के खरकटा गांव निवासी मनोज कुमार शाह ने 531 रैंक के साथ सफलता हासिल की है। वैसे तो सिविल सेवा की परीक्षा में मनोज का यह दूसरा प्रयास रहा है, लेकिन सही माने तो उन्होंने यह सफलता पहली कोशिश में प्राप्त की है। पहला प्रयास महज औपचारिक रहा है।
बड़ेे भाई की तरह आइएएस बनना है, यह बात दो वर्ष पहले उनके जेहन में तब आई, जब वह बोस्टन कंसंलटेंसी नाम की कंपनी में सेवा दे रहे थे। छह महीने पहले मिली २४ लाख रुपए के वार्षिक पैकेज वाली नौकरी को उन्होंने ठोकर मार दी और आइएएस की तैयारी में जुट गए। मनोज बताते हैं कि नौकरी के दौरान ही वह एक बार सिविल सेवा की परीक्षा दे चुके थे। सो उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि वह कोशिश कर परीक्षा में सफल हो सकते हैं।
मनोज का कहना है कि अच्छे पैकेज वाली जॉब मिलने के बाद भी उन्हें लगा कि वह इस जॉब में एक सीमित क्षेत्र में सिमट कर रह जाएंगे। बड़े भाई की तरह देश के लिए कुछ करने का मौका नहीं मिलेगा। सो घर वालों की इच्छा न होने के बावजूद उन्होंने लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ दी और तैयारी में जुट गए। इरादा पक्का था, सो सफलता मिल गई।
गौरतलब है कि उनके बड़े भाई नरेंद्र शाह असम कैडर में आइएएस हैं और दोनों भाई से बड़ी उनकी बहन डॉ. सरिता नेहरू अस्पताल में प्रसूती रोग विशेषज्ञ हैं। मनोज अपनी सफलता का श्रेय माता मान कुमारी शाह को देते हैं। उनका कहना है कि एनसीएल में सिविल इंजीनियर पद पर पदस्थ पिता राम लखन शाह से तो प्रेरणा मिलती ही रही, लेकिन माता जी की चाहत यही रही कि उनके बेटे कलेक्टर बनें। मनोज का कहना है कि माता जी यही चाहत उन्हें यहां तक ले आई है।
आइआइटी दिल्ली से किया बीटेक
मनोज ने आइआइटी दिल्ली के छात्र रहे हैं। उन्होंने वहां से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद केन इंडिया में १२ लाख रुपए के वार्षिक पैकेज पर बतौर इंजीनियर नौकरी कर ली, लेकिन उन्हें यह जॉब रास नहीं आई। नौकरी छोड़ कर आइआइएम कोलकता से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। उसके बाद उन्हें बोस्टन कंसंल्टेंसी में जॉब मिली, जिसे छोड़ कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। स्कूली शिक्षा डीएवी झिंगुरदा में हुई।

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