मौसमी बीमारियों के चपेट में आने के बाद जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का इलाज जमीन पर लिटा कर किया जा रहा है।ज्यादातर मरीज वाइरल फीवर यानी बुखार से पीडि़त हैं। सर्दी-खांसी सहित अन्य संक्रमण का जबरदस्त प्रकोप होने के चलते बच्चा वार्ड फुल हो गया है। इस स्थिति के मद्देनजर १५ अगस्त को जिला अस्पताल को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया जाना है, लेकिन सेंटर में निर्माण पूरा नहीं होने के चलते शिफ्टिंग का कार्य नहीं हो पा रहा है।
थोड़ा आराम मिलते ही कर दे रहे छुट्टी
बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। यही वजह है कि जिला अस्पताल में आने बीमार बच्चों की संख्या में दो गुना इजाफा हुआ है। एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। बच्चों की अधिक संख्या के मद्देनजर चिकित्सक उन्हें थोड़ा आराम मिलने के बाद ही उनकी छुट्टी कर दे रहे हैं। ताकि बेड खाली हो जाए और दूसरे बच्चे को भर्ती किया जा सके। शनिवार को अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या ५८ रही है। जबकि वार्ड की क्षमता ३० मरीजों की है।
थोड़ा आराम मिलते ही कर दे रहे छुट्टी
बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। यही वजह है कि जिला अस्पताल में आने बीमार बच्चों की संख्या में दो गुना इजाफा हुआ है। एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। बच्चों की अधिक संख्या के मद्देनजर चिकित्सक उन्हें थोड़ा आराम मिलने के बाद ही उनकी छुट्टी कर दे रहे हैं। ताकि बेड खाली हो जाए और दूसरे बच्चे को भर्ती किया जा सके। शनिवार को अस्पताल में भर्ती बच्चों की संख्या ५८ रही है। जबकि वार्ड की क्षमता ३० मरीजों की है।
संक्रामक बीमारियों का बढ़ा खतरा
तेलदह गांव के रामप्रताप ने बताया कि बच्चे को अचानक उल्टी व बुखार शुरू हुआ। इसके बाद उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चार दिन बीत गए, तबीयत मेंं सुधार नहीं हो रहा है। बल्कि स्वास्थ्य और बिगड़ गया है। यहां जगह का अभाव है। जिससे एक बेड पर तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। परिजनों ने यह भी बताया कि ऐसे में संक्रामक बीमरियों का खतरा बढ़ गया है।
तेलदह गांव के रामप्रताप ने बताया कि बच्चे को अचानक उल्टी व बुखार शुरू हुआ। इसके बाद उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। चार दिन बीत गए, तबीयत मेंं सुधार नहीं हो रहा है। बल्कि स्वास्थ्य और बिगड़ गया है। यहां जगह का अभाव है। जिससे एक बेड पर तीन बच्चों को भर्ती किया गया है। परिजनों ने यह भी बताया कि ऐसे में संक्रामक बीमरियों का खतरा बढ़ गया है।