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प्रदेश के इस अस्पताल में प्रसूताओं के लिए बढ़ा खतरा

locationसिंगरौलीPublished: Apr 06, 2019 10:23:13 pm

Submitted by:

Amit Pandey

चिकित्साधिकारी नहीं दे रहे ध्यान….

Death of many TB patients in Singrauli district

Death of many TB patients in Singrauli district

सिंगरौली. सरकार की मंशा है कि गांव व शहर में जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क व सुरक्षित प्रसव हो लेकिन स्वास्थ्य महकमे की उदासीनता के चलते सरकार की मंशा पर पानी फिर गया है। आलम यह है कि जिला अस्पताल में सुरक्षित प्रसव की हकीकत ही कुछ और है। मई 2008 में जिला बनने के बाद मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को जिला अस्पताल का रूप दिया गया।
भवन के अभाव में निर्धारित बेडों की संंख्या भी पूरी नहीं कर सके। जहां वार्डों में 200 बेड होने चाहिए, वहां ९६ बेड ही रखे गए हैं। इसी तरह जिला अस्पताल के प्रसव कक्ष में बेड की संख्या 40 होनी चाहिए लेकिन जब से जिला बना है तभी से प्रसव कक्ष में 20 बेड रखकर काम चला रहे हैं। शनिवार को जिला अस्पताल प्रसव कक्ष का पत्रिका टीम ने पड़ताल किया तो सरकारी व्यवस्था की हकीकत खुलकर सामने आई।
उसी समय दोपहर में मकरोहर गांव से एक प्रसूता प्रसव पीड़ा से कराहते हुए जिला अस्पताल पहुंची। जहां महिला डॉक्टर के नदारत होने के कारण स्टाफ नर्सों ने नेहरू व एनटीपीसी अस्पताल में ले जाने की सलाह दे दिया। जिसके बाद प्रसूता के परिजन उसे नेहरू चिकित्सालय ले गए। इधर प्रसव कक्ष में अव्यवस्थाओं को देखा जाए तो महिलाओं के बैठने के लिए बेंच तक नहीं है। लेबर रूम में जंग लगा हुआ बेड रखा गया है। बेड पर लगे बिस्तर की स्थिति बड़ी दयनीय हालत में है। जिससे अव्यवस्थाएं बरकरार हैं।
एक दिन में पहुंच रही दस प्रसूताएं
बताया गया है कि महीनेभर में 350 प्रसूताएं जिला अस्पताल के गायनी विभाग में भर्ती हो रही हैं। इस तरह एक दिन में औसतन दस प्रसूताएं प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचती हैं। कागजों में सुविाधाएं तो ढेरों हैं, लेकिन हकीकत देखकर आप चौक जाएंगे। अनुभवहीन नर्सो के भरोसे प्रसूताओं का इलाज हो रहा है। हैरत तो यह है कि प्रसव कक्ष में बेड की संख्या कम होने के चलते एक बेड पर दो प्रसूताओं को भर्ती कर दिया जाता है।
जटिल बताकर करते हैं रेफर
जिला अस्पताल के डॉक्टर झंझट मोल लेना नहीं चाहते हैं। सामान्य प्रसव को भी जटिल बताकर नेहरू चिकित्साल व एनटीपीसी अस्पताल रेफर कर देते हैं। वहां प्राइवेट अस्पताल में प्रसूताओं के परिजनों को मोटी फीस चुकानी पड़ती है। साथ ही नेहरू व एनटीपीसी के डॉक्टर कमीशन के चलते अधिक मात्रा में दवाएं लिखते हैं। बताया गया है कि जिस केस को जिला अस्पमाल व सीएचसी, पीएचसी के डाक्टर रेफर करते हैं। वह सामान्य डिलीवरी होती है।
फैक्ट फाइल:-
महीनेभर में भर्ती प्रसूताओं की संख्या – 350
प्रसव कक्ष में निर्धारित बेडों की संख्या – 40
मौजूद वक्त में बेडों की संख्या – 20
गायनी विभाग के डाक्टर – 02
महीनेभर में रेफर – 30-40
वर्जन:-
प्रसव कक्ष में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। साथ ही महिला डाक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है ताकि गंभीर प्रसूताओं को इलाज के लिए कोई परेशानी न हो सके। प्रसव कक्ष की हकीकत देखकर अव्यवस्थाओं को दूर किया जाएगा।
डॉ. आरपी पटेल, सीएमएचओ।
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