एक बार फिर वादा करने का सिलसिला चल पड़ा है। तसल्ली दी जा रही है कि अब की बार मौका मिला तो सब कुछ बेहतर कर देंगे।जबकि क्षेत्र की जनता वर्षों से जूझ रही तमाम तरह की समस्याओं से निजात पाने की आस लगाए बैठी है।
पढ़े-लिखे होने के बावजूद ऑटो रिक्शा चलाने को मजबूर क्षेत्र के बिहरा गांव के दिनेश प्रसाद शर्मा कहते हैं कि जिले में ढेरों कंपनियां होने के बावजूद रोजगार नहीं मिला। सिंचाईकी सुविधा नहीं होने चलते खेती करना भी घाटे का ही सौदा साबित होता है।परिवार पालने के लिए लोन पर ऑटो लेकर चलाना मजबूरी बन गई है। दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।
दिनेश की तरह ही गहिलरा गांव के प्रदीप कुमार भी ऑटो चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। क्षेत्र में विकास की बात पर प्रदीप कहते हैं कि विकास को तो नहीं मालूम, लेकिन भ्रष्टाचार गहराई तक जड़ जमा चुका है। ऑटो लेकर चले तो पेपर या ड्राइविंग लाइसेंस हो न हो, पुलिस को पैसा देने के लिए जेब में नोट जरूर होना चाहिए।
आरटीओ ऑफिस में भी बिना बिचौलियों का सहारा लिए काम नहीं होता है। खुटार गांव के मोतीलाल मजदूरी करने को मजबूर हैं। कहते हैं कि मनरेगा से लेकर कहने को तो तमाम योजनाएं हैं, लेकिन मजदूरी का काम निजी लोगों से ही मिलता है।
क्षेत्र का जन एजेंडा
– स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत।
– क्षेत्र की ज्यादातर सडक़ें मांग रहीं हैं मरम्मत।
– कंपनियों में युवकों को रोजगार दिलाने की कवायद।
– फसल की सिंचाई के लिए बांधों में पानी की जरूरत।
– तकनीकी कॉलेजों व विज्ञान के पाठ्यक्रम शुरू करने की जरुरत।
– स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत।
– क्षेत्र की ज्यादातर सडक़ें मांग रहीं हैं मरम्मत।
– कंपनियों में युवकों को रोजगार दिलाने की कवायद।
– फसल की सिंचाई के लिए बांधों में पानी की जरूरत।
– तकनीकी कॉलेजों व विज्ञान के पाठ्यक्रम शुरू करने की जरुरत।
अधूरे रह गए काम
सडक़, बिजली व पानी से लेकर विधानसभा क्षेत्र में अन्य कार्यों को लेकर अभी 18 निर्माण कार्य अधूरे हैं। 1.63 करोड़ रुपए के बजट का कार्य पूरा नहीं हो सका है। दूसरी ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी कोई गौर फरमाने को लेकर कोई तैयार नहीं है।
सडक़, बिजली व पानी से लेकर विधानसभा क्षेत्र में अन्य कार्यों को लेकर अभी 18 निर्माण कार्य अधूरे हैं। 1.63 करोड़ रुपए के बजट का कार्य पूरा नहीं हो सका है। दूसरी ओर से स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी कोई गौर फरमाने को लेकर कोई तैयार नहीं है।
शिक्षा व्यवस्था की स्थिति है खराब
विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का बुरा हाल है।केवल एक कॉलेज में कला संकाय के साथ विज्ञान संकाय है। तकनीकी शिक्षा की बात छोडि़ए दूसरे कॉलेजों में विज्ञान संकाय तक की पढ़ाईनहीं होती है। क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा संस्थान की जरूरत है और जनप्रतिनिधियों का आश्वासन भी मिलता है, लेकिन हसरत अभी अधूरी है।
विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का बुरा हाल है।केवल एक कॉलेज में कला संकाय के साथ विज्ञान संकाय है। तकनीकी शिक्षा की बात छोडि़ए दूसरे कॉलेजों में विज्ञान संकाय तक की पढ़ाईनहीं होती है। क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा संस्थान की जरूरत है और जनप्रतिनिधियों का आश्वासन भी मिलता है, लेकिन हसरत अभी अधूरी है।
वर्ष 2013 की स्थिति, ऐसी थी हार-जीत
भाजपा के राजेंद्र मेश्राम 64217 वोट, 46.70 प्रतिशत विजेता
निर्दलीय प्रत्याशी बंशमणि प्रसाद वर्मा 31003 वोट, 22.55 प्रतिशत निकटतम
वोट का अंतर – 33124
बाकी 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
भाजपा के राजेंद्र मेश्राम 64217 वोट, 46.70 प्रतिशत विजेता
निर्दलीय प्रत्याशी बंशमणि प्रसाद वर्मा 31003 वोट, 22.55 प्रतिशत निकटतम
वोट का अंतर – 33124
बाकी 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
भाजपा व निर्दलीय के बीच रही टक्कर
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राजेंद्र मेश्राम व निर्दलीय प्रत्याशी बंशमणि प्रसाद वर्मा के बीच टक्कर रही। अब की बार चुनाव में भाजपा की ओर से सुभाष वर्मा हैं। कांग्रेस ने पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े बंशमणि प्रसाद वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राजेंद्र मेश्राम व निर्दलीय प्रत्याशी बंशमणि प्रसाद वर्मा के बीच टक्कर रही। अब की बार चुनाव में भाजपा की ओर से सुभाष वर्मा हैं। कांग्रेस ने पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े बंशमणि प्रसाद वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है।