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सिंगरौली

मन में रह गए मिनिट्स, फैसला भी ठिठका, परिषद बैठक के चार दिन भी जारी नहीं हो पाए मिनिट्स

परिषद बैठक: नगर निगम परिषद की बैठक के तुरंत बाद मिनिट्स जारी करने का अध्यक्ष सीपी विश्वकर्मा का दावा बेदम निकला।

सिंगरौलीDec 05, 2017 / 01:40 pm

suresh mishra

Municipal council meeting in singrauli

Municipal council meeting in singrauli

सिंगरौली। नगर निगम परिषद की बैठक के तुरंत बाद मिनिट्स जारी करने का अध्यक्ष सीपी विश्वकर्मा का दावा बेदम निकला। पांच दिन बाद भी मिनिट्स जारी नहीं किए गए। इससे न केवल अध्यक्ष की पार्षदों के बीच छवि संदेहास्पद होती जा रही है, बल्कि चर्चा के दौरान लिए गए निर्णयों को लेकर कयासबाजी का दौर चल पड़ा है।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण कबाड़ नीलामी का फैसला है। इसके अलावा और भी कई अहम प्रस्तावों के गोल होने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि अध्यक्ष पांच दिन बाद भी मिनिट्स को लेकर कोई फैसला नहीं कर पाए हैं। परिषद की बैठक से एक दिन पूर्व अध्यक्ष ने पार्षदों के बीच परिषद के तुंरत बाद मिनिट्स जारी करने की घोषणा की थी।
विपक्षी पार्षदों में अविश्वास का माहौल

विपक्षी पार्षदों पर विश्वकर्मा की अच्छी पकड़ थी जो पिछले कुछ माहों में कमजोर होती जा रही थी। अध्यक्ष के कुछ मामलों को लेकर विपक्षी पार्षदों में अविश्वास का माहौल बन रहा था। इसे भांपते हुए परिषद के सुचारु संचालन के लिए अध्यक्ष ने मिनिट्स को लेकर दावा तो कर दिया लेकिन उस पर खरे नहीं उतरे। इसे लेकर विपक्षी सदस्यों के साथ सत्तासीन भाजपा के पार्षदों में भी चर्चाओं का दौर चल निकला है।
दूसरे दिन भेजे मिनिट्स
निगम सूत्रों के अनुसार 28 नवम्बर को परिषद शुरू हुई और 29 नवम्बर की शाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। अध्यक्ष के दावे के अनुसार, मंगलवार शाम ही परिषद द्वारा पारित प्रस्तावों के मिनिट्स जारी कर दिए जाने थे। निगम कर्मचारियों ने दूसरे दिन मिनिट्स तैयार कर अध्यक्ष के पाले में डाल दिए थे। उसके बाद अध्यक्ष ने कथित तौर पर उसमें संशोधन करवाया। संशोधित मिनिट्स एक दिसम्बर को अध्यक्ष को भेजे गए लेकिन तीन दिन गुजरने के बाद भी जारी नहीं किया गया।
एसई पर अडिग, बाकी पर असमंजस
अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, मिनिट्स में एसई एकेसिंह के अधिकार छीनने सम्बंधी प्रस्ताव के अलावा अन्य में बदलाव किए गए हैं। अध्यक्ष का रवैया वैसे तो एसई के प्रति भी नरम था लेकिन इसके गोल होने पर विपक्ष के साथ साथ अपनी ही पार्टी के सदस्यों को जवाब देना भारी पड़ जाता। इसके अलावा येन केन प्रकारेण महापौर व एमआईसी के साथ खत्म हुई दूरियां पुन: चौड़ी होने के साथ मामला संगठन तक जाने की आशंका थी।
कबाड़ नीलामी का मामला

इस कारण एसई के प्रस्ताव को हु-ब-हू रखा गया बताया। कबाड़ नीलामी का मामला निगम प्रशासन के साथ एमआईसी के खिलाफ जा रहा था। अधिकारियों के साथ एमआईसी भी लपेटे में आ रही थी। इसे देखते हुए कबाड़ के मामले को गोल कर दिया गया बताया जबकि परिषद ने जांच लोकायुक्त से करवाने पर सहमति दी थी। इसके अलावा अन्य कुछ मसलों पर भी हिचकोले खाने की बात सामने आ रही है। इस सम्बंध में जब अध्यक्ष विश्वकर्मा से उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

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