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एनजीटी की टीम ने भी माना, तकनीकी रूप से तैयार नहीं किया गया ऐश डैम

locationसिंगरौलीPublished: Sep 09, 2019 11:04:27 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

डैम टूटने से प्रभावित गांवों से लिया गया पानी का सेंपल….

NGT team visit Singrauli village effect by Essar's ash dam breakdown

NGT team visit Singrauli village effect by Essar’s ash dam breakdown

सिंगरौली. एस्सार पॉवर का ऐश डैम निर्धारित मानकों के अनुरूप तैयार नहीं किया गया है। तकनीकी रूप से बनाने के बजाए डैम को सामान्य तरह से तैयार कराया गया है। एसडीएम माड़ा के नेतृत्व में गठित टीम के बाद अब एनजीटी की टीम ने भी यह स्वीकार किया है। एनजीटी की ओर से गठित टीम ने रविवार को प्रभावित कर्सुआलाल व खैराही सहित आस-पास के गांवों का अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान टीम में जांच के लिए पानी का सेंपल भी एकत्र किया।
ऊर्जाधानी में प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने की उद्देश्य से गठित ओवर साइट कमेटी के चेयरमैन व इलाहाबाद हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश राजेश कुमार के नेतृत्व में अवलोकन करने पहुंची एनजीटी की टीम ने गांवों के नदी, तालाब व कुएं से पानी के पांच सेंपल लिए। सेंपल की जांच कर इस बात का आंकलन किया जाएगा कि ऐश से पानी में प्रदूषण कितना है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने बताया कि पूर्व में उनकी ओर से कई कंपनियों के डैम का अवलोकन किया गया है।
उसके मद्देनजर एस्सार का डैम तकनीकी रूप में काफी कमजोर है। यह कहने में किसी को भी हिचक नहीं होगी कि डैम निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाया गया रहा होता तो यह घटना नहीं होती।सेवानिवृत्त न्यायाधीश के मुताबिक सोमवार, 9 सितंबर को कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को भेजा जाएगा। गौरतलब है कि अधिवक्ता अश्वनी दुबे की याचिका पर एनजीटी ने डैम टूटने से प्रभावित गांवों के अवलोकन के लिए टीम का गठन किया है।
आइआइटी के विशेषज्ञ करेंगे जांच
न्यायाधीश राजेश कुमार के मुताबिक गांवों में ऐश के रसायन से प्रभाव की जांच के लिए आइआइटी कानपुर व आइआइटी बीएचयू के विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है।विशेषज्ञों की टीम जमीन में ऐश का कितने वर्षों तक प्रभाव रहेगा सहित अन्य बिन्दुओं पर जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। एनजीटी का निर्णय इन दोनों की रिपोर्ट पर आधारित होगा।
बढ़ सकता है कंपनी पर क्षतिपूर्ति
वैसे तो कंपनी पर जिला प्रशासन की ओर से 50 लाख और मप्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 10 करोड़ रुपए का जुर्माना क्षतिपूर्तिके रूप में लगाया है। जिला प्रशासन की ओर से लगाए गए जुर्माने को कंपनी ने जमा भी कर दिया है, लेकिन दायर याचिका में क्षतिपूर्ति के लिए निर्धारित राशि को अपर्याप्त माना जा रहा है। एनजीटी की ओर से कराईजा रही जांच के बाद जुर्माने की राशि में और बढ़ोत्तरी हो सकती है।
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