राज्य आपदा आपातकालीन मोचन बल (एसडीइआरएफ) की टीम जिले में तैनात तो है मगर, टीम में सदस्यों की संख्या नाम मात्र की है। यही कारण है कि यहां स्थिति बिगडऩे के बाद रीवा, वाराणसी व जबलपुर से टीम बुलानी पड़ती है। बता दें कि मानसून की पहली बारिश में शहर सहित ग्रामीण अचंल के नदी नाले उफान पर आ जाते हैं। गत वर्ष जहां नवजीवन बिहार में मकान ढह जाने से एक युवक की मौत हो गई थी। वहीं सरई क्षेत्र में नदी के तेज बहाव में बह जाने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही झुरही व गर्रा नाला ऊफान पर आ गए थे। चितरंगी क्षेत्र में सोन व गोपद नदी भी ऊफान पर थीं। ऐसे हालात में आपदा से निपटने के लिए यदि जिले में जिला कमांडेंट होम गार्ड के साथ ही सैनिकों व उपकरणों की कमीं महसूस की जाए तो यह खतरे को दावत दे रहा है।
थाना व चौकी स्तर पर तैनात नहीं हुर्ई डीआरसी
पिछले वर्ष अब तक में डीआरसी बन गए थे। लेकिन इस बार अभी तक (डीआरसी) रिस्पॉस सेंटर नहीं बने हैं। इन्हें थाना स्तर पर तैनात किया जाता है। पिछली बार चितरंगी, गढ़वा, सरई, निगरी, देवसर, माड़ा में डीआरसी को आपदा से निपटने तैनात किया गया था। एक प्रभारी के साथ तीन से अधिक स्टाफ थे। घटना-दुर्घटना होने थाना के जरिए टीम को सूचना मिलती थी और डीआरसी की टीम घटनास्थल पर तत्काल पहुंचती है।
बारिश में यहां रहता है खतरा
जियावन थाना क्षेत्र : महान व गोपद नदी
चितरंगी व गढ़वा थाना : सोन व गोपद नदी
सरई थाना क्षेत्र : गोपद नदी
कोतवाली थाना क्षेत्र : काचन नदी
माड़ा थाना क्षेत्र : मयार नदी
सासन चौकी क्षेत्र : मयार नदी
निवास चौकी क्षेत्र : भलखोहा नाला
बंधौरा चौकी क्षेत्र : गर्रा नाला
सौ से अधिक सैनिकों की कमीं
जिले में होनी चाहिए सैनिकों की संख्या – 198
वर्तमान में जिले में पदस्थ सैनिकों की संख्या – 93
मौजूदा वक्त में जिले को सैनिकों की आवश्यकता – 105
ऐसा है रेस्क्यू का क्रम:
– स्थिति बिगडऩे पर रीवा से एसडीइआरएफ की टीम को बुलाया जाता है।
– उसे सफलता नहीं मिलती तो वाराणसी से एनडीइआरएफ की टीम को बुलाते हैं।
– आपदा में जब दोनों सफल नहीं हुई तो जबलपुर से आर्मी की टीम को बुलाते हैं।
जिले में ये तीन टीमें मौजूद
डीआरसी (डिजास्टर रिस्पॉस सेंटर) एक प्रभारी के साथ तीन स्टाफ
क्यूआरटी (क्विक रिसपांस टीम) एक प्लाटून कमांडर के साथ एसटीइआरएफ टीम के सदस्य
ईओसी (इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर) एक प्रभारी के साथ आठ जवान
जिले में नाममात्र की एसडीइआरएफ टीम
जिले में एसडीआरएफ की टीम में स्वीकृत 22 सदस्य
वर्तमान में पदस्थ एसडीइआरएफ की टीम में 6 सदस्य
एसडीइआरएफ टीम की आवश्यकता 16 सदस्य
केवल सीमित उपकरण :
रबर वोट – 01
इंजन(ओबीएम) – 04
लाइफ जैकेट – 65
लाइफ रिंग – 35
कांटा – 07
रस्सा – 10
सर्च लाइट – 10
आस्क लाइट – 02
स्ट्रेचर – 04
लाइलॉन रस्सी – सौ मीटर
ड्रिल मशीन – छोटी व बड़ी एक-एक नग
हैमर – एक, कटर – एक
डायमंड चैनसॉ – एक
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थाना व चौकी स्तर पर तैनात नहीं हुर्ई डीआरसी
पिछले वर्ष अब तक में डीआरसी बन गए थे। लेकिन इस बार अभी तक (डीआरसी) रिस्पॉस सेंटर नहीं बने हैं। इन्हें थाना स्तर पर तैनात किया जाता है। पिछली बार चितरंगी, गढ़वा, सरई, निगरी, देवसर, माड़ा में डीआरसी को आपदा से निपटने तैनात किया गया था। एक प्रभारी के साथ तीन से अधिक स्टाफ थे। घटना-दुर्घटना होने थाना के जरिए टीम को सूचना मिलती थी और डीआरसी की टीम घटनास्थल पर तत्काल पहुंचती है।
बारिश में यहां रहता है खतरा
जियावन थाना क्षेत्र : महान व गोपद नदी
चितरंगी व गढ़वा थाना : सोन व गोपद नदी
सरई थाना क्षेत्र : गोपद नदी
कोतवाली थाना क्षेत्र : काचन नदी
माड़ा थाना क्षेत्र : मयार नदी
सासन चौकी क्षेत्र : मयार नदी
निवास चौकी क्षेत्र : भलखोहा नाला
बंधौरा चौकी क्षेत्र : गर्रा नाला
सौ से अधिक सैनिकों की कमीं
जिले में होनी चाहिए सैनिकों की संख्या – 198
वर्तमान में जिले में पदस्थ सैनिकों की संख्या – 93
मौजूदा वक्त में जिले को सैनिकों की आवश्यकता – 105
ऐसा है रेस्क्यू का क्रम:
– स्थिति बिगडऩे पर रीवा से एसडीइआरएफ की टीम को बुलाया जाता है।
– उसे सफलता नहीं मिलती तो वाराणसी से एनडीइआरएफ की टीम को बुलाते हैं।
– आपदा में जब दोनों सफल नहीं हुई तो जबलपुर से आर्मी की टीम को बुलाते हैं।
जिले में ये तीन टीमें मौजूद
डीआरसी (डिजास्टर रिस्पॉस सेंटर) एक प्रभारी के साथ तीन स्टाफ
क्यूआरटी (क्विक रिसपांस टीम) एक प्लाटून कमांडर के साथ एसटीइआरएफ टीम के सदस्य
ईओसी (इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर) एक प्रभारी के साथ आठ जवान
जिले में नाममात्र की एसडीइआरएफ टीम
जिले में एसडीआरएफ की टीम में स्वीकृत 22 सदस्य
वर्तमान में पदस्थ एसडीइआरएफ की टीम में 6 सदस्य
एसडीइआरएफ टीम की आवश्यकता 16 सदस्य
केवल सीमित उपकरण :
रबर वोट – 01
इंजन(ओबीएम) – 04
लाइफ जैकेट – 65
लाइफ रिंग – 35
कांटा – 07
रस्सा – 10
सर्च लाइट – 10
आस्क लाइट – 02
स्ट्रेचर – 04
लाइलॉन रस्सी – सौ मीटर
ड्रिल मशीन – छोटी व बड़ी एक-एक नग
हैमर – एक, कटर – एक
डायमंड चैनसॉ – एक
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