script‘सिंगरौली में प्रदूषण से बड़ा मुद्दा नहीं’ | 'No big issue from pollution in Singrauli' | Patrika News

‘सिंगरौली में प्रदूषण से बड़ा मुद्दा नहीं’

locationसिंगरौलीPublished: Nov 08, 2018 10:50:23 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

जिले के रहवासियों का दर्द उभरकर सामने आया

'No big issue from pollution in Singrauli'

‘No big issue from pollution in Singrauli’

सिंगरौली. तीन विधानसभाओं वाले सिंगरौली जिले में प्रदूषण से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। जिले को आठ साल पहले क्रिटिकल पॉल्यूटिंग जोन में शामिल किया गया है। चिमनी से निकलने वाला धुआं, कोयले का राखड़ और बड़े-बड़े ट्रकों से निकलने वाले धुएं से कितना प्रदूषण फैल रहा है? इसका कोई माप नहीं। इसके बाद भी चुनावी मुद्दों के नाम पर इसकी गंभीरता से कोई पार्टी या प्रत्याशी चर्चा तक नहीं करते। किसी के पास कोई विजन प्लान तक नहीं है। जिला अस्पताल सिंगरौली के डॉ. आरबी सिंह ने औद्योगिकीकरण से मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को करीब से महसूस किया है। उस हर बदलाव को देखा है जो सिंगरौली को बीमार बना रहा है।
लोगों के फेफड़े हो रहे खराब
वे कहते हैं कि दिल्ली में वाहन सीएनजी से चलाएंगे, प्रदूषण से लोगों के फेफड़े में संक्रमण हो जाएगा। दिल्ली का फेफड़ा कोमल है, तो क्या सिंगरौली का फेफड़ा लोहे से बना है। चिमनी का धुआं, कोयले के पार्टिकल दिनभर वातावरण में रहने के बाद रात में ओस से नीचे आ जाता है। सुबह लोग स्वस्थ्य रहने सड़कों पर निकलते हैं, पसीना बहाते हैं। उन्हें नहीं पता कि इस बीच जो सांस नाक से ले रहे हैं वह दस गुना प्रदूषित हैं। रिहंद का पानी राखड़ से प्रदूषित है। रिलायंस, एस्सार और दूसरी बिजली इकाइयों से निकलने वाली तार के जाल उत्पन्न होने वाली विद्युत तरंगे कार्बन के साथ मिल वातावरण को आयोनाइज्ड कर देती हैं। नतीजा, बारिश में सर्वाधिक बिजली यहां गिरती है। आने वाले समय में यहां कैंसर के मरीज इतने बढ़ेंगे कि कल्पना नहीं कर सकते।
पांच साल से बह रही मौत
रिलायंस के सासन परियोजना इकाई के पीछे रहने वाले चांपा गांव के सवाई लाल व उनके बेटे बताते हैं कि प्रदूषण ने सब कुछ तबाह कर दिया। राखी (पावर हाउस से निकलने वाला राखड़) से पानी पीने लायक नहीं रहा। पुरवाई चलती है तो राखी के कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। आस-पास गांव के लगभग दो हजार लोग हवा और पानी के प्रदूषण से परेशान हैं। धनामती, फूलमती, रामजनम व दादू राम दूसरे ग्रामीण भी अपने को ढगा सा महसूस कर रहे हैं। इनका कहना है कि रिलायंस ने जमीन अधिग्रहण करते जो बाते कहीं उसमें कुछ भी पूरा नहीं हुआ। सिंगरौली में पांच साल के दौरान औद्योगिक विस्तार ज्यादा हुआ। रिलायंस, एस्सार, जेपी निगरी और हिंडाल्को की इकाइयां यहां स्थापित हुईं। इन इकाइयों से प्रदूषण ज्यादा बढ़ा, तो पर्यावरण सुधार के नाम पर होने वाले प्रयास भी कागजों तक सीमित रहे।
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