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आबकारी को शासन से मिले संकेत, जिले में शराब की नहीं बढ़ेगी एक भी दुकान

locationसिंगरौलीPublished: Feb 24, 2020 01:10:55 am

Submitted by:

Anil singh kushwah

पूर्व की तरह 29 जगह से ही होगी देसी मदिरा की बिक्री

Not a single shop will increase liquor in the district

Not a single shop will increase liquor in the district

सिंगरौली. जिले में मदिरा के अवैध कारोबार व खपत को रोकने के लिए दुकानों की संख्या अब नहीं बढ़ेगी। आबकारी विभाग के ग्वालियर मुख्यालय व शासन की ओर से यहां जिला स्तरीय आबकारी अमले को इसका साफ संकेत दिया गया है। इससे साफ हो गया है कि नए वित्त वर्ष में एक अप्रैल से भी जिले में देसी मदिरा की बिक्री मंजूर 29 स्थापित दुकानों पर ही होगी। कुछ माह पूर्व ही विभाग मुख्यालय के निर्देश पर जिले में सात नई उप दुकानें खोले जाने के लिए जगह चिह्नित किया गया है। नए वित्त वर्ष से इन जगहों पर नई या उप दुकान मंजूर करने का प्रस्ताव भी मुख्यालय भेजा गया मगर बताया गया है कि शासन की ओर से इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया गया है। इस प्रकार नए वित्त वर्ष एक अप्रैल से जिले में देसी मदिरा की बिक्री के लिए दुकानों की संख्या यथावत ही रहना तय हो गया।
आबकारी के पास पर्याप्त संसाधन नहीं
उल्लेखनीय है कि अब तक शासन के स्तर पर नए वित्त वर्ष से आबकारी नीति तय नहीं की गई है मगर मुख्यालय से इस बात का संकेत जारी हो गया है कि जिले में देसी मदिरा की दुकान की संख्या नहीं बढेग़ी या उप दुकान भी मंजूर नहीं की जाएगी। वैसे कुछ माह पूर्व ही जिले में एेसे क्षेत्र को चिह्नित किया गया था जहां अवैध मदिरा की खपत व उसका कारोबार बहुत बड़ी मात्रा में होता है और इसे रोकने के लिए आबकारी विभाग के पास पर्याप्त मानवीय संसाधन नहीं हैं।
शराब की अवैध कारोबार करने वालों पर होगी कार्रवाई
तत्कालीन समय में की गई पड़ताल में पाया गया कि इसका मुख्य कारण संबंधित गांव या टोले के निकट शासकीय देसी मदिरा की दुकान नहीं होना पाया गया। इनमें से कुछ जगह तो शासकीय देसी मदिरा की दुकान ३०-३५ किलोमीटर दूर स्थापित होना सामने आया। इसलिए संबंधित गांवों या टोलों में अवैध मदिरा का ही कारोबार व उसकी खपत होने के कारण का पता चला। इस अवैध कारोबार को रोकने व उस पर अंकुश के लिए ही आबकारी विभाग के जिला कार्यालय की ओर से अवैध कारोबार वाले गांवों में नई या उप दुकान खोलने का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय व शासन को भेजा गया। इसमें गांवों मेंं अवैध मदिरा का कारोबार रूकने व शासन को राजस्व मिलने का हवाला दिया गया मगर तात्कालिक तौर पर यह प्रस्ताव सिरे से खारिज हो गया है। इसके चलते जिले में लंबे-चौड़े ग्रामीण क्षेत्र को निकट भविष्य में अवैध मदिरा के कारोबार व इसकी खपत जैसी स्थिति को ही झेलना पड़ेगा।
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