बात उन महिलाओं की कर रहे हैं, जो एनआरएलएम के तहत बनाए गए समूहों की सदस्य हैं। आजीविका मिशन के परियोजना अधिकारियों की माने तो अब तक महिलाओं ने कुल 1.45 लाख मास्क बाजार से लेकर विभागों और संस्थाओं को उपलब्ध कराए हैं।
इतना ही नहीं समूहों की महिलाओं ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सेनेटाइजर, साबुन व हैंडवॉश भी खुद से तैयार किया और विभागों व संस्थाओं को मुहैया कराया। इससे आम लोगों को काफी राहत मिली।
बता दें कि महिला समूहों ने 1.45 लाख मास्क के अलावा 2000 लीटर सेनेटाइजर, एक हजार साबुन व 500 लीटर हैंडवॉश तैयार किया है। अभी भी इन सामानों को तैयार किए जाने का सिलसिला जारी है।
दरअसल मास्क, सेनेटाइजर व हैंडवॉश की बाजार में लॉकडाउन के पहले चरण में इतनी मांग बढ़ गई कि दुकानदारों का स्टॉक खाली हो गया। मांग के सापेक्ष आपूर्ति कम होने के चलते इसकी जमाखोरी और कालाबाजारी शुरू हो गई। दुकानदार मनमाने दाम वसूलने लगे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिला पंचायत के सीइओ ऋतुराज ने महिला समूहों की मदद लेने का निर्णय लिया। एनआरएम की अधिकारी अंजुला झा ने विशेषज्ञों की मदद से महिलाओं को प्रशिक्षित किया और मास्क के साथ सेनेटाइजर व हैंडवॉश तैयार कराना शुरू कर दिया। जिससे बाजार में इन सामानों की उपलब्धता बढ़ी और कीमत नियंत्रित हो गई।
50 समूहों की 250 महिलाओं का रहा योगदान कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए मास्क, सेनेटाइजर, साबुन व हैंडवॉश जैसी वस्तुओं को बनाने में 50 समूहों की करीब 250 महिलाओं ने अपना योगदान दिया। उनकी ओर से सामान तैयार करने के साथ ही बाजार की बिक्री भी की। महिलाओं ने इन दो महीनों में अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए अच्छी आमदनी भी की है।