एनसीएल व एनटीपीसी के बीच हुए अनुबंध के मुताबिक गोरबी की बंद कोयला खदान को बिजली उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान पावर प्लांट से निकलने वाले फ्लाई ऐश को भरने के लिए प्रयोग में लाया जाएगा।देश के सबसे बड़े पावर प्लांट एनटीपीसी विध्यांचल को इस बावत खदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
एनसीएल मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एनसीएल की ओर से ब्लॉक बी के क्षेत्र महाप्रबंधक आरबी प्रसाद व एनटीपीसीए विध्यांचल के कार्यकारी निदेशक ईडी एके तिवारी ने अनुबंध (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया। इस अवसर पर एनसीएल के निदेशक तकनीकी संचालन गुणाधर पाण्डेय और निदेशक तकनीकी परियोजना व योजना पीएम प्रसाद उपस्थित रहे।
अनुबंध के दौरान निदेशक गुणाधर पाण्डेय ने कहा कि एनटीपीसी कोयले की सबसे बड़ी ग्राहक है। एनसीएल व एनटीपीसी के क्रेता-विक्रेता के मजबूत रिश्ते को इस अनुबंध से नई पहचान मिलेगी। यह पर्यावरण प्रतिबद्धता की दिशा में एक अहम पड़ाव है। निदेशक पीएम प्रसाद ने एनटीपीसी प्रबंधन को आश्वस्त किया कि फ्लाई ऐश डंप के संबंध में एनसीएल से जो भी सहयोग संभव होगा किया जाएगा।
एनटीपीसी विध्यांचल के कार्यकारी निदेशक एके तिवारी ने कहा कि इस सफलता में एनसीएल का बहुत बड़ा योगदान है। अनुबंध के दौरान एनसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के तकनीकी सचिव पीके विश्वाल, महाप्रबंधक पर्यावरण कंपनी सचिव दिवाकर श्रीवास्तव, महाप्रबंधक सिविल एके सिंह, एनटीपीसी विध्यांचल के अपर महाप्रबंधक सिविल एमके मंगला, अपर महाप्रबंधक एमके जैन, उप महाप्रबंधक रविंदर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
30 मिलियन टन फ्लाईऐश हो सकेगा डंप
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि फ्लाई ऐश के माध्यम से खदानों को वापस भरना फ्लाई ऐश प्रबंधन की प्रभावी तकनीक में से एक है। एनसीएल की गोरबी खदान में पूर्ण रूप से खनन बंद होने के बाद एनटीपीसी को 14 मिलियन क्यूबिक मीटर का भाग दिया गया है। इसमें करीब 30 मिलियन टन फ्लाई ऐश को समायोजित किया जा सकेगा।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि फ्लाई ऐश के माध्यम से खदानों को वापस भरना फ्लाई ऐश प्रबंधन की प्रभावी तकनीक में से एक है। एनसीएल की गोरबी खदान में पूर्ण रूप से खनन बंद होने के बाद एनटीपीसी को 14 मिलियन क्यूबिक मीटर का भाग दिया गया है। इसमें करीब 30 मिलियन टन फ्लाई ऐश को समायोजित किया जा सकेगा।
वायु प्रदूषण को लेकर हैं भयभीत
कंपनियों के बीच हुए इस अनुबंध से स्थानीय लोगों में इस बात का डर हैकि गर्मीके दिनों में वहां की वायु फ्लाई ऐश को प्रदूषित होगी। हालांकि कंपनियों की ओर से इस अनुबंध में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक पहल बताया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि कोयल परिवहन के चलते पहले से प्रदूषित हवा और प्रदूषित न हो जाए।
कंपनियों के बीच हुए इस अनुबंध से स्थानीय लोगों में इस बात का डर हैकि गर्मीके दिनों में वहां की वायु फ्लाई ऐश को प्रदूषित होगी। हालांकि कंपनियों की ओर से इस अनुबंध में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक पहल बताया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि कोयल परिवहन के चलते पहले से प्रदूषित हवा और प्रदूषित न हो जाए।