गलतफहमी के शिकार हैं पुरूष, नकद मिलने के बावजूद योजना में नहीं ले रहे रुचि
स्वास्थ्य विभाग की योजना हो रही फ्लॉप ....

सिंगरौली. जिले में पुरुषों को नसबंदी रास नहीं आ रही है। जबकि पुरुष नसबंदी महिलाओं की अपेक्षा सरल व सहज है। तमाम कवायद व प्रोत्साहन के बाद भी पुुरुष नसबंदी परिवार नियोजन कराने से कन्नी काट रहे हैं। वहीं महिलाओं की संख्या पुुरुषों की तुलना में कहीं अधिक है। जबकि, नसबंदी कराने के लिए सरकार ने प्रोत्साहन राशि तय कर रखी है और पुरुषों को मिलने वाली राशि महिलाओं से ज्यादा है।
नसबंदी कराने पर प्रति महिला को सरकार 1400 और पुरुष को 2000 रुपए देती है। परिवार नियोजन में निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसरत शुरू कर दी है। अभी तक में परिवार नियोजन में ज्यादातर महिलाएं आगे आई हैं। विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद नसबंदी के लिए पुरूष आगे नहीं आ रहे हैं। कार्यक्रम की समीक्षा भी नहीं की जाती है। जिसके चलते जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक जमकर लापरवाही की जा रही है।
पुरुषों को बदलना होगा सोच
गांवों में पुरुषों के बीच आम धारणा है कि इससे वे कमजोर पड़ जाएंगे। उन्हें यही लगता है कि मर्द अगर ऑपरेशन कराएंगे तो खेती-बाड़ी और घर का काम कौन संभालेगा। छोटा परिवार हो इस पर बड़े-बुजुर्गों को भी आपत्ति होती है। जानकारों के मुताबिक इस कार्यक्रम के प्रति पुरुषों की खासी दिलचस्पी नहीं देखने के बाद से इसके लक्ष्य भी कम होते गए अब ये लक्ष्य भी कम होने लगा है। कार्यक्रम प्रभारी ने बताया कि पुरुषों की सोच इस मसले को लेकर अभी नहीं बदली।
केवल 3 पुरुषों ने कराया नसबंदी
बताया गया है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जा रहे नसबंदी शिविर में अभी तक में केवल 3 पुरुषों ने नसबंदी कराया है। जबकि नसबंदी करवाने वाले पुरुष को प्रदेश सरकार दो हजार व महिला को 1400 रुपए का प्रोत्साहन राशि देती है। जागरूकता व संदेशजनक कार्यक्रम कराए जाते हैं लेकिन पुरुष वर्ग पर उसका असर नहीं पड़ रहा है।
प्राइवेट अस्पतालों को कोई मतलब नहीं
जिला अस्पताल के अलावा भी जिले में एनसीएल व एनटीपीसी का अस्पताल संचालित है। इन अस्पतालों में परिवार नियोजन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता है। सीएमएचओ के निर्देश को एनसीएल व एनटीपीसी अस्पताल के प्रबंधन अनसुना कर देते हैं। इसलिए जिले का स्वास्थ्य अमला लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी परिवार नियोजन में सफल नहीं होता है।
नसबंदी को लेकर भ्रम में न रहें पुरूष
- नसबंदी के बाद बीमारी होने, कमजोर होने का भ्रम है।
- पुरुष नसबंदी में कोई चीरा या टांका नहीं लगता।
- नसबंदी के आधा घंटे बाद व्यक्ति घर जा सकता है।
- नसबंदी के 48 घंटे बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है।
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