कंपनी अब न केवल खुद कोयले का सडक़ मार्ग से परिवहन बंद करेगी। बल्कि उन ग्राहक कंपनियों को भी कोयला नहीं देगी, जो कोयले के परिवहन के लिए सडक़ मार्ग पर निर्भर हैं। एनसीएल प्रबंधन की ओर से सडक़ मार्ग से कोल परिवहन पर प्रतिबंध का निर्णय महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में हुई ओवर साइट कमेटी की बैठक के बाद लिया गया है।
बैठक में ओवर साइट कमेटी की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश को स्पष्ट किया गया, जिसको आधार मान कर अपने तरीके से व्याख्या करते हुए कंपनी ने सडक़ मार्ग से कोल परिवहन जारी रखा था। जिस पर अब कमेटी के निर्देश के अनुपालन में प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित होने की स्थिति में एस्सार व हिंडालको सहित विद्युत उत्पादन करने वाली कई कंपनियां प्रभावित होंगी। सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित होने की स्थिति में उन ट्रांसपोर्टरों को भी भारी झटका लगा है, जिनके सैकड़ों वाहन कोल परिवहन में लगे हुए हैं।
कंपनी ने आदेश की अलग व्याख्या की थी
यहां जिले में एक मार्च को हुई एनजीटी की ओवर साइट कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब जिले में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित रहेगा। एनसीएल ने कमेटी के इस निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय की शरण लिया।
यहां जिले में एक मार्च को हुई एनजीटी की ओवर साइट कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब जिले में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित रहेगा। एनसीएल ने कमेटी के इस निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय की शरण लिया।
न्यायालय में कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सडक़ मार्ग से कोल परिवहन अचानक से बंद करना संभव नहीं है। कंपनी ने एक सतत प्रक्रिया के तहत सडक़ से कोल परिवहन बंद करने का तर्क रखा। कंपनी के तर्क पर न्यायालय की ओर से आदेश जारी किया गया कि फिलहाल अभी जो स्थिति है उसे बरकरार रखा जाए। साथ ही न्यायालय ने कमेटी के आदेश का पालन कराने की पैरवी में लगे अधिवक्ता अश्विनी दुबे से उनका पक्ष रखने को कहा।
इधर कंपनी ने न्यायालय के आदेश की अपनी तरह से व्याख्या करते हुए तर्क दिया कि वर्तमान में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन जारी है। इसलिए न्यायालय के आदेशानुसार अगले आदेश तक कोल परिवहन सडक़ मार्ग से किया जा सकता है। इस तर्क के साथ कंपनी व उसकी ग्राहक कंपनियों की ओर से सडक़ मार्ग से कोल परिवहन जारी रखा था।
साइट कमेटी ने स्पष्ट किया न्यायालय का आदेश
एनसीएल की ओर से न्यायालय के आदेश की अपनी तरह से व्याख्या करने को संज्ञान में लेते हुए ओवर साइट कमेटी ने सात जून को प्रयागराज में बैठक बुलाई और न्यायालय के आदेश को स्पष्ट किया। कमेटी के सदस्यों का तर्क रहा है कि वर्तमान में कमेटी के निर्णय अनुसार सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित है।
एनसीएल की ओर से न्यायालय के आदेश की अपनी तरह से व्याख्या करने को संज्ञान में लेते हुए ओवर साइट कमेटी ने सात जून को प्रयागराज में बैठक बुलाई और न्यायालय के आदेश को स्पष्ट किया। कमेटी के सदस्यों का तर्क रहा है कि वर्तमान में कमेटी के निर्णय अनुसार सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित है।
इसलिए न्यायालय के निर्देशानुसार वस्तुस्थिति को बनाए रखते हुए सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित रहेगा। इतना ही नहीं कमेटी ने जिला प्रशासन को भी स्पष्ट किया है कि कोई भी कंपनी या ट्रांसपोर्टर सडक़ मार्ग से कोल परिवहन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कमेटी के इस निर्देश के मद्देनजर अब एनसीएल ने सडक़ मार्ग से कोल परिवहन को प्रतिबंधित किया है।
हालांकि कंपनी अधिकारी अभी इससे निजात पाने की पूरी कोशिश करेंगे। अधिकारिक सूत्रों की माने तो वह सर्वोच्च न्यायालय की फिर से शरण लेंगे और वहां से जो निर्देश प्राप्त होगा, उसका अनुपालन करेंगे। इस तरह से सर्वोच्च न्यायालय के अगले आदेश तक सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित रहेगा।