शिक्षक से बिछुडऩे का छात्रों में इस कदर गम छाया रहा कि किसी ने मध्याह्न भोजन तक नहीं किया। स्कूल से लौटते समय बच्चे उनका गेट तक रोते हुए पीछे करते आए। उन्होंने जैसे-तैसे सभी को समझाबुझाकर कक्षा में भेजा। बता दें कि स्कूल में पिछले आठ वर्षों से पदस्थ जितेंद्र वैश्य ने बच्चों को घर से स्कूल लाने सहित कई ऐसी जिम्मेदारी निभाई है। जिससे वह छात्रों के चेहते बन गए।
छात्र-छात्राएं ही नहीं बल्कि अभिभावक भी उन पर पूरा भरोसा करने लगे हैं। बच्चों का स्कूल नहीं छूटे, इसके लिए शिक्षक ने एक ट्राली गाड़ी ही बनवा लिया। उस गाड़ी से वह आस-पास के गांव के उन बच्चों को स्कूल लाते थे, जिनके पास स्कूल पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं था। मंगलवार को बच्चों को जब उनके स्थानांतरण की खबर लगी और वह विदा होने लगे तो बच्चे फूट-फूट कर रोने लगे।
अभिभावकों ने भी बच्चों को समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई चुप नहीं हुआ। बच्चे घंटों रोए। स्कूल में जितेंद्र इकलौते नियमित शिक्षक पदस्थ रहे। उनके साथ दो अतिथि शिक्षक भी बच्चों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। स्थानांतरण के संबंध में शिक्षक का कहना है कि वह अब चितरंगी विकासखंड के भलुगढ़ शाला जाएंगे। उन्होंने यह स्थानांतरण खुद से मांगा है।
शिक्षक का उद्देश्य अब भलुगढ़ शाला को बेहतर करने का है। यही वजह है कि उन्होंने स्थानांतरण की मांग की है। गौरतलब है कि शिक्षक जितेंद्र को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित करने के लिए चुना गया है। उन्होंने अपनी मेहनत से घिनहा गांव को शाला को प्रदेश में टॉप फाइव स्कूलों में शामिल कराया है। स्कूल में कुल 86 छात्र-छात्राएं पंजीकृत है।