पूछने पर मरीजों को जवाब मिलता है कि सरकारी अस्पताल है यहां डाक्टर चंद मिनटों के लिए आते हैं फिर चले भी जाते हैं। मरीजों को इलाज मिले या न मिले इसकी चिंता अस्पताल प्रबंधन को भी नहीं है। जिला अस्पताल में इन दिनों मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। उल्टी-दस्त व बुखार के सैकड़ों मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचते हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को नि:शुल्क उपचार करने का महकमा दावा तो करता है। मगर, हकीकत देखने पर स्वास्थ्य विभाग के दावा की हवा निकल जाती है।
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जिला अस्पताल में प्रबंधन से लेकर डाक्टर व नर्सों के लिए बकायदे यूनिफार्म में जिला अस्पताल में आने के लिए हिदायत दिया गया था लेकिन इसका पालन कभी नहीं हुआ। स्टॉफ नर्सों को छोडक़र जिला अस्पताल में डाक्टर व प्रबधंन कभी यूनिफार्म में नहीं आए। यह भी अस्पताल प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही है। ऐसी स्थिति में मरीज डाक्टरों की पहचान नहीं कर पाते हैं। उपस्थिति दर्ज कराने चंद मिनटों के लिए डाक्टर अस्पताल पहुंचते हैं और इसके बाद वहां से चलता बनते हैं।
जिला अस्पताल में प्रबंधन से लेकर डाक्टर व नर्सों के लिए बकायदे यूनिफार्म में जिला अस्पताल में आने के लिए हिदायत दिया गया था लेकिन इसका पालन कभी नहीं हुआ। स्टॉफ नर्सों को छोडक़र जिला अस्पताल में डाक्टर व प्रबधंन कभी यूनिफार्म में नहीं आए। यह भी अस्पताल प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही है। ऐसी स्थिति में मरीज डाक्टरों की पहचान नहीं कर पाते हैं। उपस्थिति दर्ज कराने चंद मिनटों के लिए डाक्टर अस्पताल पहुंचते हैं और इसके बाद वहां से चलता बनते हैं।
पानी के लिए त्राहि-त्राहि
एक भीषण गर्मी, दूसरे पानी के लिए त्राहि-त्राहि। यह बात जिला अस्पताल में मरीजों के गले नहीं उतर रही है। दिखावे के लिए अस्पताल परिसर में दो वॉटर कूलर रखे गए हैं। मगर, उसका पानी पीकर मरीजों की हालत और बिगड़ सकती है। वॉटर कूलर से खौलता हुआ पानी निकलता है। जिसे पीने से मरीजों की प्यास नहीं बुझ रही है। बल्कि उन्हें बाजार से पैसे खर्च कर पानी बॉटल खरीदना पड़ रहा है। वॉटर कूलर महज दिखावा साबित हो रहा है।
एक भीषण गर्मी, दूसरे पानी के लिए त्राहि-त्राहि। यह बात जिला अस्पताल में मरीजों के गले नहीं उतर रही है। दिखावे के लिए अस्पताल परिसर में दो वॉटर कूलर रखे गए हैं। मगर, उसका पानी पीकर मरीजों की हालत और बिगड़ सकती है। वॉटर कूलर से खौलता हुआ पानी निकलता है। जिसे पीने से मरीजों की प्यास नहीं बुझ रही है। बल्कि उन्हें बाजार से पैसे खर्च कर पानी बॉटल खरीदना पड़ रहा है। वॉटर कूलर महज दिखावा साबित हो रहा है।