जानकारी के लिए बता दें कि जिला प्रशासन ने सीएमएचओ को नए ट्रामा सेंटर में शिफ्ट करने का निर्धारित समय दे दिया। काश, ये नियम जिम्मेदारों ने पहले लागू कर दिया होता तो आज आधी-अधूरी तैयारियों के बीच शिफ्टिंग की तैयारी नहीं करना पड़ता। जिम्मेदारों के लापरवाही का आलम यह रहा कि नए ट्रामा सेंटर के परफार्मेंस का समय गुजर गया और अभी तक निर्माण कार्य भी नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
भागदौड़ में होगा मरीजों का इलाज
बतादें कि मरीजों को ओपीडी का पर्चा नए ट्रामा सेंटर में कटाकर डाक्टरों को दिखाना होगा। इसके बाद जांच कराने के लिए पुराने अस्पताल में भगदौड़ करना होगा। दवाएं लेने के लिए पुराने अस्पताल में ही लाइन लगानी पड़ेगी। डाक्टरों से सलाह लेने के लिए मरीजों को नए ट्रामा सेंटर में पुन: आना होगा। ऐसे में मरीजों के दिनभर का समय यहां-वहां भागदौड़ करने से गुजर जाएगा।
बतादें कि मरीजों को ओपीडी का पर्चा नए ट्रामा सेंटर में कटाकर डाक्टरों को दिखाना होगा। इसके बाद जांच कराने के लिए पुराने अस्पताल में भगदौड़ करना होगा। दवाएं लेने के लिए पुराने अस्पताल में ही लाइन लगानी पड़ेगी। डाक्टरों से सलाह लेने के लिए मरीजों को नए ट्रामा सेंटर में पुन: आना होगा। ऐसे में मरीजों के दिनभर का समय यहां-वहां भागदौड़ करने से गुजर जाएगा।