कुछ ऐसे ही दलीलों के साथ चेंजमेंकर्स ने वोट मांगने के लिए दरवाजे पर आने वाले प्रत्याशियों से सवाल-जवाब करने की बात कही है। पत्रिका कार्यालय में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि वह इसको लेकर अभियान भी चलाएंगे। साथ ही राजनीति के वर्तमान परिदृश्य पर उनकी ओर से चिंता भी जताई गई।
लोगों से संपर्क कर, सबको करेंगे जागरूक
आशीष शुक्ला ने कहा कि समाज के लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। चुनाव के मद्देनजर अब लोगों को इस बावत भी जागरूक करेंगे कि वह वोट मांगने के लिए घर पहुंचने वाले प्रत्याशी से यह जरूर पूछे कि वह उनके लिए क्या करेंगे। कहें कि बाद में वह मुलाकात कर वादा जरूर याद दिलाएंगे।
आशीष शुक्ला ने कहा कि समाज के लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। चुनाव के मद्देनजर अब लोगों को इस बावत भी जागरूक करेंगे कि वह वोट मांगने के लिए घर पहुंचने वाले प्रत्याशी से यह जरूर पूछे कि वह उनके लिए क्या करेंगे। कहें कि बाद में वह मुलाकात कर वादा जरूर याद दिलाएंगे।
प्रत्याशियों के समक्ष जाहिर करें अपना रोष
फरदीन खान कहते हैं कि वह हर किसी को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे है कि प्रत्याशी के समक्ष समस्याओं को लेकर आक्रोश जरूर जाहिर करें। दावा करता हूं कि आक्रोश जाहिर करने की स्थिति में नेताजी जीते तो भी आएंगे और हारे तो भी आएंगे। नहीं आए तो फिर दोबारा वोट मांगने नहीं आएंगे।
फरदीन खान कहते हैं कि वह हर किसी को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे है कि प्रत्याशी के समक्ष समस्याओं को लेकर आक्रोश जरूर जाहिर करें। दावा करता हूं कि आक्रोश जाहिर करने की स्थिति में नेताजी जीते तो भी आएंगे और हारे तो भी आएंगे। नहीं आए तो फिर दोबारा वोट मांगने नहीं आएंगे।
मतदाताओं को बदलनी होगी सोच
आशीष शाहवाल का कहना है कि मतदाताओं को अब अपनी सोच बदलनी होगी। कहा कि बतौर चेंजमेकर वह लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि वोट करने से पहले यह जरूर सोचें कि वह संबंधित प्रत्याशी को किस उम्मीद में वोट कर रहे हैं। किसी के कहने से नहीं, खुद सोच कर करें मतदान।
आशीष शाहवाल का कहना है कि मतदाताओं को अब अपनी सोच बदलनी होगी। कहा कि बतौर चेंजमेकर वह लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि वोट करने से पहले यह जरूर सोचें कि वह संबंधित प्रत्याशी को किस उम्मीद में वोट कर रहे हैं। किसी के कहने से नहीं, खुद सोच कर करें मतदान।
व्यवस्था के साथ सोच बदलनी होगी
रमेश मेहदेले कहते हैं कि जनप्रतिनिधि हो या शासन-प्रशासन का तंत्र, सभी को सोच बदलना होगा। साधारण सी बात है कि लोकतंत्र में समस्याओं का समाधान करने जनता को लाइन लगाना पड़ता है। शासकीय सेवक ऑफिस में बैठे रहते हैं और पब्लिक परेशान होती है। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए।
रमेश मेहदेले कहते हैं कि जनप्रतिनिधि हो या शासन-प्रशासन का तंत्र, सभी को सोच बदलना होगा। साधारण सी बात है कि लोकतंत्र में समस्याओं का समाधान करने जनता को लाइन लगाना पड़ता है। शासकीय सेवक ऑफिस में बैठे रहते हैं और पब्लिक परेशान होती है। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए।
जनता के बीच रहे जनप्रतिनिधि
राहुल नागर ने कहा कि सांसद हो या विधायक, उन्हें जनता के बीच रहना चाहिए। शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ जब वह जनता के बीच रहेंगे तो लोगों की समस्याओं को भी समझेंगे। अब की बार हम मतदाता वोट मांगने के लिए आने वाले प्रत्याशियों से पूछेंगे कि वह इससे पहले क्यों नहीं आए।
राहुल नागर ने कहा कि सांसद हो या विधायक, उन्हें जनता के बीच रहना चाहिए। शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ जब वह जनता के बीच रहेंगे तो लोगों की समस्याओं को भी समझेंगे। अब की बार हम मतदाता वोट मांगने के लिए आने वाले प्रत्याशियों से पूछेंगे कि वह इससे पहले क्यों नहीं आए।
प्रत्याशियों को बताएं अपनी समस्या
डॉ. सुमित गुप्ता का कहना है कि मतदाताओं को अपना भय त्यागना होगा। वोट मांगने के लिए मोहल्ले या गांव में पहुंचने वाले प्रत्याशियों से कम से कम अपनी समस्याएं तो बता ही सकते हैं। समस्या बताने के साथ ही यह भी बोले कि कई सालों की समस्या का किसी ने नहीं किया समाधान। नेताजी खुद ब खुद शार्मिंदा हो जाएंगे।
डॉ. सुमित गुप्ता का कहना है कि मतदाताओं को अपना भय त्यागना होगा। वोट मांगने के लिए मोहल्ले या गांव में पहुंचने वाले प्रत्याशियों से कम से कम अपनी समस्याएं तो बता ही सकते हैं। समस्या बताने के साथ ही यह भी बोले कि कई सालों की समस्या का किसी ने नहीं किया समाधान। नेताजी खुद ब खुद शार्मिंदा हो जाएंगे।