खुटार बड़ा बाजार है। बीच कसबे से सड़क निकलती है। सड़क के दोनों ओर दुकानें है। आवासीय मकान है। कंपनियों के पावर प्लांट तक कोयला परिवहन 24 घंटे इसी रोड से होता है। ट्रेलरों की लाइन पूरे दिन लगी रहती है। एक मिनट भी यह रोड खाली नहीं रहती। ट्रेलर में जा रहा कोयला सड़क पर गिरता है जो तेज हवा के साथ उड़कर दुकानों और आवासों में जा रहा है। इससे खुटार की आबोहवा प्रदूषित हो रही है। हालात ये है कि लोगों को शुद्ध हवा नसीब नहीं है। सांसों के जरिए कोयला अर्थात सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा शरीर में प्रवेश कर रही है। जो बहुत ही घातक है। यहां के लोग श्वांस, अस्थमा, टीबी सहित कई गंभीर बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। बच्चों के स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। चर्म रोग आए दिन बच्चों को चपेट में ले रहा है।
ध्वनि से सिरदर्द
डंपर चौबीस घंटे दौड़ रहे हैं जिससे सिरदर्द की समस्या बढ़ रही है। सड़क किनारे रहने वालों का जीना दुश्वार है। दिन तो जैसे-तैसे कट जाता है लेकिन रात में मुश्किलें होती है। लोग कहते हैं कि इसका असर उनकी सुनने की क्षमता पर भी पड़ रहा है।
डंपर चौबीस घंटे दौड़ रहे हैं जिससे सिरदर्द की समस्या बढ़ रही है। सड़क किनारे रहने वालों का जीना दुश्वार है। दिन तो जैसे-तैसे कट जाता है लेकिन रात में मुश्किलें होती है। लोग कहते हैं कि इसका असर उनकी सुनने की क्षमता पर भी पड़ रहा है।
कई बार लगा चुके गुहार
यहां के निवासी रामलाल शाह, परमेश्वर, विक्रम शाह सहित अन्य ने बताया कि कई बार प्रशासन से कोयला परिवहन की समस्या पर आवाज उठा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। चक्काजाम और प्रदर्शन भी हो चुके हैं।
यहां के निवासी रामलाल शाह, परमेश्वर, विक्रम शाह सहित अन्य ने बताया कि कई बार प्रशासन से कोयला परिवहन की समस्या पर आवाज उठा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। चक्काजाम और प्रदर्शन भी हो चुके हैं।