ग्रामीणों ने शिकायत कर केंद्र को हटाने की मांग की थी। शिकायत के बाद एसडीएम ने तहसीलदार को मामले की जांच करते हुए पोड़ी में पोल्ट्री फॉर्म को बस्ती से हटवाने का निर्देश दिया था, लेकिन तहसीलदार द्वारा अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों ने शिकायत में एसडीएम को बताया था कि गांव के शिवप्रसाद पाल पिता तेजबली द्वारा गांव के बीच में ही पोल्ट्री फॉर्म का संचालन किया जा रहा है। फॉर्म संचालन के लिए कोई अनुमति भी नहीं ली गई है।
मुंह बंदकर रास्ते से आने-जाने को मजबूर
ग्रामीणों ने शिकायत पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा अमल नहीं किए जाने का नतीजा यह है कि वर्तमान में लोग वहां मुंह दबाकर गुजरते हैं। हवा चलने पर पोल्ट्री फॉर्म से उठने वाली दुर्गंध बस्ती तक पहुंचती है। इससे वहां संक्रामक बीमारी का खतरा बना हुआ है। आए दिन कोई न कोई बीमार भी हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जल्द ही बस्ती के बीच से पोल्ट्री फॉर्म नहीं हटाया गया तो वह अधिकारियों के विरूद्ध धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
ग्रामीणों ने शिकायत पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा अमल नहीं किए जाने का नतीजा यह है कि वर्तमान में लोग वहां मुंह दबाकर गुजरते हैं। हवा चलने पर पोल्ट्री फॉर्म से उठने वाली दुर्गंध बस्ती तक पहुंचती है। इससे वहां संक्रामक बीमारी का खतरा बना हुआ है। आए दिन कोई न कोई बीमार भी हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जल्द ही बस्ती के बीच से पोल्ट्री फॉर्म नहीं हटाया गया तो वह अधिकारियों के विरूद्ध धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
दूसरे मानक भी नजरअंदाज
शिकायत के मुताबिक पोल्ट्री फॉर्म में कई दूसरे निर्धारित मानकों को नजरअंदाज किया गया जा रहा है। फॉर्म में न ही समय पर साफ-सफाई की जाती है और न ही वहां से निकलने वाली कचरा यानी गंदगी का उचित निस्तारण किया जाता है। फॉर्म से निकलने वाली गंदगी को इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इससे बीमारी का खतरा और बढ़ रहा है। शिकायत के पहले ग्रामीणों ने फॉर्म संचालक से व्यक्तिगत रूप से बस्ती के बाहर मुर्गी पालन का निवेदन किया था, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
शिकायत के मुताबिक पोल्ट्री फॉर्म में कई दूसरे निर्धारित मानकों को नजरअंदाज किया गया जा रहा है। फॉर्म में न ही समय पर साफ-सफाई की जाती है और न ही वहां से निकलने वाली कचरा यानी गंदगी का उचित निस्तारण किया जाता है। फॉर्म से निकलने वाली गंदगी को इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इससे बीमारी का खतरा और बढ़ रहा है। शिकायत के पहले ग्रामीणों ने फॉर्म संचालक से व्यक्तिगत रूप से बस्ती के बाहर मुर्गी पालन का निवेदन किया था, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।