अब भी आदिवासी बिजली से वंचित
राज्य सरकार की ओर से जिले के दूरदराज वाले, आदिवासी क्षेत्र तथा अब तक बिजली से वंचित घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए कुछ माह पहले सौभाग्य योजना लागू की गई। इसके तहत जिले के वंचित घरों व गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए बिजली तंत्र स्थापित कर घरों को कनेक्शन देने के लिए 31 अक्टूबर तक की मियाद तय की गई। मगर योजना लागू होने के बाद जिले में इसकी आरंभिक गति बेहद सुस्त रही और इस कारण कुछ माह तो गांवों में बिजली से वंचित घरों के सर्वे में ही बीत गए और बिजली तंत्र स्थापित करने का काम शुरू ही नहीं हो सका। इसके तहत वंचित गांवों या दूरदराज वाले टोलों तक बिजली पहुंचाने के लिए नए पोल लगाए जाने, बिजली के तार बिछाए जाने व ट्रांसफार्मर लगाए जाने जैसे काम होने थे। तत्कालीन समय में सौभाग्य योजना में ये तमाम काम पूरे करने के बाद ३१ अक्टूबर तक जिले के हर गांव व हर घर को बिजली से रोशन किया जाना तय किया गया।
राज्य सरकार की ओर से जिले के दूरदराज वाले, आदिवासी क्षेत्र तथा अब तक बिजली से वंचित घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए कुछ माह पहले सौभाग्य योजना लागू की गई। इसके तहत जिले के वंचित घरों व गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए बिजली तंत्र स्थापित कर घरों को कनेक्शन देने के लिए 31 अक्टूबर तक की मियाद तय की गई। मगर योजना लागू होने के बाद जिले में इसकी आरंभिक गति बेहद सुस्त रही और इस कारण कुछ माह तो गांवों में बिजली से वंचित घरों के सर्वे में ही बीत गए और बिजली तंत्र स्थापित करने का काम शुरू ही नहीं हो सका। इसके तहत वंचित गांवों या दूरदराज वाले टोलों तक बिजली पहुंचाने के लिए नए पोल लगाए जाने, बिजली के तार बिछाए जाने व ट्रांसफार्मर लगाए जाने जैसे काम होने थे। तत्कालीन समय में सौभाग्य योजना में ये तमाम काम पूरे करने के बाद ३१ अक्टूबर तक जिले के हर गांव व हर घर को बिजली से रोशन किया जाना तय किया गया।
जिले में योजना की प्रगति सुस्त
जिले मेंं इस योजना की प्रगति की रफ्तार शुरु से ही सुस्त रही। इसका नतीजा है कि बिजली तंत्र स्थापना के लगभग ६५ काम करने का ठेका लेने वाली मैक्स नामक कंपनी १५ सितम्बर तक इनमें से लगभग 50 काम या तो शुरू नहीं कर पाई या शुरू होने के बाद उनका काम जहां का तहां रूक गया। बताया गया कि इसका बड़ा कारण इस कंपनी के पास संसाधनों की कमी रहा। इसके चलते जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 15 सितम्बर तक 11 हजार से अधिक बिजली के नए पोल नहीं लगाए जा सके। संबंधित कंपनी की ढिलाई के चलते इस तिथि तक चयनित जगहों पर 11099 बिजली के नए पोल खड़े किए जाने बाकी थे। इसी प्रकार यह कंपनी बिजली तंत्र विकसित करने के अन्य काम करने में भी विफल रही। इस कारण चालू माह में योजना की समीक्षा बैठक में काम संतोषजनक नहीं होने पर इस कंपनी को नोटिस दिया गया। इसके बाद मुख्यालय के निर्देश पर आधे-अधूरे या शुरू नहीं होने वाले इस कंपनी को दिए गए काम बिजली कंपनी को 41 दूसरे छोटे ठेकेदारों को देने पड़े। यह कंपनी लगभग डेढ़ दर्जन गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए पोल लगाने या गांव में नए पोल लगाने का काम भी सितम्बर माह तक शुरू नहीं कर पाई। इस कारण सात गांवों को विद्युतीकृत करने के लिए तंत्र स्थापित करने का काम भी छोटे ठेकेदारों को दिया गया। बिजली अधिकारियों के अनुसार शेष कामों का छोटे ठेकेदारों को आवंटन किए जाने के बाद सितम्बर माह मेंं काम की रफ्तार तेज हुई है।
जिले मेंं इस योजना की प्रगति की रफ्तार शुरु से ही सुस्त रही। इसका नतीजा है कि बिजली तंत्र स्थापना के लगभग ६५ काम करने का ठेका लेने वाली मैक्स नामक कंपनी १५ सितम्बर तक इनमें से लगभग 50 काम या तो शुरू नहीं कर पाई या शुरू होने के बाद उनका काम जहां का तहां रूक गया। बताया गया कि इसका बड़ा कारण इस कंपनी के पास संसाधनों की कमी रहा। इसके चलते जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 15 सितम्बर तक 11 हजार से अधिक बिजली के नए पोल नहीं लगाए जा सके। संबंधित कंपनी की ढिलाई के चलते इस तिथि तक चयनित जगहों पर 11099 बिजली के नए पोल खड़े किए जाने बाकी थे। इसी प्रकार यह कंपनी बिजली तंत्र विकसित करने के अन्य काम करने में भी विफल रही। इस कारण चालू माह में योजना की समीक्षा बैठक में काम संतोषजनक नहीं होने पर इस कंपनी को नोटिस दिया गया। इसके बाद मुख्यालय के निर्देश पर आधे-अधूरे या शुरू नहीं होने वाले इस कंपनी को दिए गए काम बिजली कंपनी को 41 दूसरे छोटे ठेकेदारों को देने पड़े। यह कंपनी लगभग डेढ़ दर्जन गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए पोल लगाने या गांव में नए पोल लगाने का काम भी सितम्बर माह तक शुरू नहीं कर पाई। इस कारण सात गांवों को विद्युतीकृत करने के लिए तंत्र स्थापित करने का काम भी छोटे ठेकेदारों को दिया गया। बिजली अधिकारियों के अनुसार शेष कामों का छोटे ठेकेदारों को आवंटन किए जाने के बाद सितम्बर माह मेंं काम की रफ्तार तेज हुई है।
नहीं बढ़ेगी योजना की मियाद
बताया गया कि शुक्रवार व शनिवार को स्थानीय स्तर पर समीक्षा में पाया गया कि छोटे ठेकेदारों को काम आवंटित किए जाने के बाद चालू माह में तीन सप्ताह में जिले में लगभग ११ हजार नए पोल स्थापित कर लिए गए। तंत्र स्थापित नहीं होने के चलते ही इस योजना में अब तक 24 हजार घरों को बिजली कनेक्शन दिया जाना बाकी पड़ा है। बताया गया कि दोनों दिन समीक्षा बैठक में मुख्य अभियंता केएल वर्मा की ओर से छोटे ठेकेदारों को काम की गति और तेज करने का निर्देश दिया गया ताकि 15 अक्टूबर तक पूरा तंत्र स्थापित हो जाए। इसके बाद योजना में चिन्हित व शेष सभी घरों को 31 अक्टूबर तक बिजली कनेक्शन दिया जाएगा। मुख्य अभियंता वर्मा की ओर से साफ संकेत दिया गया कि योजना के काम पूरे करने के लिए मियाद नहीं बढ़ेगी। इस कारण सभी काम तय समय पर ही पूरे करने के लिए बिजली अधिकारियों को दौडऩा पड़ रहा है। बैठक में सौभाग्य योजना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री अमित कुमार, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण एमएस चंदेल, मुख्य ठेका कंपनी मैक्स के प्रतिनिधि व छोटे ठेकेदार मौजूद थे।
बताया गया कि शुक्रवार व शनिवार को स्थानीय स्तर पर समीक्षा में पाया गया कि छोटे ठेकेदारों को काम आवंटित किए जाने के बाद चालू माह में तीन सप्ताह में जिले में लगभग ११ हजार नए पोल स्थापित कर लिए गए। तंत्र स्थापित नहीं होने के चलते ही इस योजना में अब तक 24 हजार घरों को बिजली कनेक्शन दिया जाना बाकी पड़ा है। बताया गया कि दोनों दिन समीक्षा बैठक में मुख्य अभियंता केएल वर्मा की ओर से छोटे ठेकेदारों को काम की गति और तेज करने का निर्देश दिया गया ताकि 15 अक्टूबर तक पूरा तंत्र स्थापित हो जाए। इसके बाद योजना में चिन्हित व शेष सभी घरों को 31 अक्टूबर तक बिजली कनेक्शन दिया जाएगा। मुख्य अभियंता वर्मा की ओर से साफ संकेत दिया गया कि योजना के काम पूरे करने के लिए मियाद नहीं बढ़ेगी। इस कारण सभी काम तय समय पर ही पूरे करने के लिए बिजली अधिकारियों को दौडऩा पड़ रहा है। बैठक में सौभाग्य योजना के प्रभारी कार्यपालन यंत्री अमित कुमार, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण एमएस चंदेल, मुख्य ठेका कंपनी मैक्स के प्रतिनिधि व छोटे ठेकेदार मौजूद थे।