बता दें कि जिले में सिंचाई तंत्र का मुख्य आधार 27 बांध हैं। इन बांधों के गेट की सालाना मरम्मत होती है। इसके लिए विशेषज्ञ टीम रीवा से आती है जो अब तक नहीं आ सकी है और अभी उसके आने में और विलंब की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में किसानों की पेशानी पर बल आ गए हैं कि मानसून सक्रिय होने से पहले अग बंधो के गेटों की मरम्मत नहीं हुई तो बारिश का सारा पानी व्यर्थ हो जाएगा। ऐसे में सिंचाई बाधित होगी। किसानी चौपट हो जाएगी।
विदित है कि जिले में सिंचाई व्यवस्था के लिए छोटे बड़े 27 बांध स्थापित है। इनसे पानी निकासी के गेटों की मानसून से पहले वार्षिक मरम्मत की प्रक्रिया तय है। मगर इस बार लॉकडाउन के चलते अब तक गेटो की मरम्मत का काम नहीं हो पाया है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर विभाग को रीवा से भेजी जाने वाली विशेष तकनीकी टीम का इंतजार करना पड़ रहा है। इस टीम को सभी बांधों के गेटों की मरम्मत के लिए लगभग एक पखवाड़े का समय चाहिए। इस बीच मानसून के सक्रिय होने में अब बहुत कम समय बचा है। ऐसे में यहां विभाग स्तर पर रीवा से विशेष टीम भेजे जाने के लिए लगातार संपर्क किया जा रहा है। बताया गया कि वहां से टीम को पहुंचने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं। इस बीच मानसून की वर्षा शुरू होने पर गेट की मरम्मत न होने के चलते उनमें जल संग्रह की व्यवस्था प्रभावित होने का अंदेशा है।