बता दें कि रिहंद डैम में हजारों टन कचरा झोंक कर वातावरण को बर्बाद करने और नाबालिगों सहित 6 लोगों की जान लेने वाली कंपनी रिलायंस सासन पॉवर ने प्रदूषण मुक्ति का उपाय खोज निकाला है। इसके लिए कंपनी 1663 करोड़ रुपये खर्च करेगी। योजना के तहत कंपनी 1663 करोड़ रुपये खर्च कर एफजीडी (फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन) तकनीक से वायु प्रदूषण कम करेगी। कंपनी सूत्रों के मुताबिक इस तकनीक का इस्तेमाल सभी 6 इकाइयों में किया जाएगा। यूनिट में इस तकनीक के लग जाने के बाद चिमनियों से निकलने वाले धुएं में से भी खतरनाक रासायनिक तत्व नष्ट हो जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक कंपनी की योजना है कि 2021 तक पहली, दूसरी व पांचवीं यूनिट में इस तकनीक का इस्तेमाल होगा। फिर 2022 तक शेष बची तीनों यूनिटों को भी एफजीडी से लैश कर दिया जाएगा। कंपनी ने प्रदूषण मुक्ति की खातिर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग से इसकी अनुमति भी हासिल कर ली है।
बताया जा रहा है कि कंपनी अपनी यूनिटों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने की खातिर जिस तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है उस पर खर्च होने वाली धनराशि उपभोक्ताओं से वसूल की जाएगी। इसके लिए बिजली मूल्य में बढ़ोत्तरी होगी। यहां बता दें कि कंपनी न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड के 47 करोड़ उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करती है। इस कंपनी की उत्पादन क्षमता 3960 मेगावाट है।
यहां यह भी बता दें कि पिछले दिनों इस रिलायंस सासन पॉवर के ऐश डैम से हुई तबाही से तीन नाबालिग सहित 6 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं हजारों टन राख का मलबा जाने से रिहंद जलाशय भी प्रदूषित हुआ है। इसके लिए कंपनी को दोषी मानते हुए कोर्ट केस भी हुआ है। अब इस मामले में 3 मई को लॉकडाउन हटने के बाद सुनवाई शुरू होने की संभावना है। ऐसा परिवादी अधिवक्ता आशीष पांडेय को विश्वास है।