जिले में वायु प्रदूषण का आलम यह है कि यहां का आंकड़ा देश के बड़े महानगरों में प्रदूषण के आंकड़े को पीछे छोड़ चुका है, लेकिन प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं। बात क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की कर रहे हैं। फिलहाल बोर्ड के अधिकारियों की उदासीनता को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। अपर कलेक्टर ने क्षेत्रीय अधिकारी को नोटिस जारी कर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। अपर कलेक्टर की नोटिस के बाद बोर्ड के अधिकारियों की नींद टूटी है।
प्रदूषण का यह है हाल
- रिहंद जलाशय का पानी बैढऩ में पाइप लाइन के जरिए पेयजल के लिए घरों में पहुंचाया जा रहा है। जलाशय में बलिया नाला के जरिए जयंत, निगाही व दुद्धिचुआ खदानों को कोयला युक्त पानी डाला जा रहा है। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है।
- कॉचन नदी में कोलवाशरी का पानी बिना शुद्ध किए छोड़ जा रहा है। कोल वाहनों की सफाई के बाद कोयला व डीजलयुक्त पानी छोड़ जाने से नदी प्रदूषित हो रही है।
- बरगवां से लेकर गोरबी व सिंगरौली कोल साइडिंग में मनमानी तरीके से कोयला भंडारण, लोडिंग व अनलोडिंग से आस-पास की वायु को प्रदूषित हो रही है। रहवासी परेशान हैं और अधिकारी उदासीन।
- सडक़ मार्ग से कोल परिवहन में ओवरलोडिंग व वाहन की ट्राली को ढकने का उचित बंदोबस्त नहीं होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। परिवहन के दौरान सडक़ पर कोयला गिरता है और धूल बनकर घरों तक पहुंच रहा है।
- रिहंद जलाशय का पानी बैढऩ में पाइप लाइन के जरिए पेयजल के लिए घरों में पहुंचाया जा रहा है। जलाशय में बलिया नाला के जरिए जयंत, निगाही व दुद्धिचुआ खदानों को कोयला युक्त पानी डाला जा रहा है। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है।
- कॉचन नदी में कोलवाशरी का पानी बिना शुद्ध किए छोड़ जा रहा है। कोल वाहनों की सफाई के बाद कोयला व डीजलयुक्त पानी छोड़ जाने से नदी प्रदूषित हो रही है।
- बरगवां से लेकर गोरबी व सिंगरौली कोल साइडिंग में मनमानी तरीके से कोयला भंडारण, लोडिंग व अनलोडिंग से आस-पास की वायु को प्रदूषित हो रही है। रहवासी परेशान हैं और अधिकारी उदासीन।
- सडक़ मार्ग से कोल परिवहन में ओवरलोडिंग व वाहन की ट्राली को ढकने का उचित बंदोबस्त नहीं होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। परिवहन के दौरान सडक़ पर कोयला गिरता है और धूल बनकर घरों तक पहुंच रहा है।
एनजीटी का निर्देश नजरअंदाज
- जिले में प्रदूषण से राहत के लिए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने गाइडलाइन जारी किया है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है।
- निर्देश है कि नदियों में खदानों व कोलवाशरी का पानी शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जाए, लेकिन निर्देश पर अमल नहीं हो रहा है।
- सडक़ मार्ग से कोल परिवहन न्यूनतम किया जाए और परिवहन के दौरान वाहनों को पूरी तरह से ढका जाए। यह निर्देश भी नजरअंदाज है।
- किसी भी स्थिति में कोल वाहन ओवरलोड नहीं हो और परिवहन के निर्धारित रूट की नियमित सफाई हो, लेकिन मनमानी जारी है।
- जिले में प्रदूषण से राहत के लिए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने गाइडलाइन जारी किया है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है।
- निर्देश है कि नदियों में खदानों व कोलवाशरी का पानी शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जाए, लेकिन निर्देश पर अमल नहीं हो रहा है।
- सडक़ मार्ग से कोल परिवहन न्यूनतम किया जाए और परिवहन के दौरान वाहनों को पूरी तरह से ढका जाए। यह निर्देश भी नजरअंदाज है।
- किसी भी स्थिति में कोल वाहन ओवरलोड नहीं हो और परिवहन के निर्धारित रूट की नियमित सफाई हो, लेकिन मनमानी जारी है।
सिंगरौली सबसे अधिक प्रदूषित
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) की सूची में सिंगरौली सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है। मंडी गोविंदगढ़ का एक्यूआइ 363 है। जबकि मुजफ्फरनगर का 355 और सिंगरौली का एक्यूआइ 354 है। बाकी के शहरों के एक्यूआइ इससे कम हैं। जिला प्रशासन ने जिले में प्रदूषण की लगातार बढ़ रही इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। प्रदूषण को लेकर की गई एक शिकायत को संज्ञान में लेकर अपर कलेक्टर ने बोर्ड अधिकारी को नोटिस जारी किया है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) की सूची में सिंगरौली सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है। मंडी गोविंदगढ़ का एक्यूआइ 363 है। जबकि मुजफ्फरनगर का 355 और सिंगरौली का एक्यूआइ 354 है। बाकी के शहरों के एक्यूआइ इससे कम हैं। जिला प्रशासन ने जिले में प्रदूषण की लगातार बढ़ रही इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। प्रदूषण को लेकर की गई एक शिकायत को संज्ञान में लेकर अपर कलेक्टर ने बोर्ड अधिकारी को नोटिस जारी किया है।