मोरवा में राहगीर फांक रहे धूल
जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूरी पर मोरवा रेलवे स्टेशन स्थित है। मोरवा स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच हर रोज सैकड़ों की संख्या में वाहन चलते हैं। कोयला ढोने वाले भारी वाहन भी इनमें शामिल होते हैं। नतीजा सड़क से धूल और वाहनों से कोयले का गुबार उठता है, जो राहगीरों में श्वास के जरिए फेफड़ों तक पहुंच रहा है। कसर गांव के संदीप बताते हैं कि मोरवा रेलवे स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच सड़क ही खत्म हो गई है। चौबीस घंटे हाइवा मौत बनकर सड़क में दौड़ रहे हैं। धूल से सांस लेना मुश्किल हो गया है। अवनीश ने कहा कि बीते सालभर से यह सड़क जानलेवा बन चुकी है। सड़क निर्माण की जिम्मेदारी कोयला कंपनी की है, क्योंकि भारी वाहन कंपनी से ही कोयला लेकर जाते हैं।
जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूरी पर मोरवा रेलवे स्टेशन स्थित है। मोरवा स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच हर रोज सैकड़ों की संख्या में वाहन चलते हैं। कोयला ढोने वाले भारी वाहन भी इनमें शामिल होते हैं। नतीजा सड़क से धूल और वाहनों से कोयले का गुबार उठता है, जो राहगीरों में श्वास के जरिए फेफड़ों तक पहुंच रहा है। कसर गांव के संदीप बताते हैं कि मोरवा रेलवे स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच सड़क ही खत्म हो गई है। चौबीस घंटे हाइवा मौत बनकर सड़क में दौड़ रहे हैं। धूल से सांस लेना मुश्किल हो गया है। अवनीश ने कहा कि बीते सालभर से यह सड़क जानलेवा बन चुकी है। सड़क निर्माण की जिम्मेदारी कोयला कंपनी की है, क्योंकि भारी वाहन कंपनी से ही कोयला लेकर जाते हैं।
कलेक्टर का निर्देश भी बेअसर
बिना उचित प्रबंध के सड़क मार्ग से कोयला परिवहन प्रतिबंधित है। कलेक्टर अनुराग चौधरी दीपावली से पहले ही एक बैठक के दौरान एनजीटी के नियमों का हवाला देते हुए सड़क मार्ग से कोयला परिवहन पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद भारी वाहनों से कोयले का परिवहन जारी है।
बिना उचित प्रबंध के सड़क मार्ग से कोयला परिवहन प्रतिबंधित है। कलेक्टर अनुराग चौधरी दीपावली से पहले ही एक बैठक के दौरान एनजीटी के नियमों का हवाला देते हुए सड़क मार्ग से कोयला परिवहन पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद भारी वाहनों से कोयले का परिवहन जारी है।
प्रदूषण की चपेट में 10 हजार से अधिक आबादी
मोरवा से कसर के बीच करीब दस किलोमीटर दूरी में करीब 10 हजार लोगों की आबादी है, जो उठने धूल व कोयले के गुबार के चलते प्रदूषण का दंश झेल रहे हैं। सड़क बनाने की जिम्मेदारी नजदीक में स्थित कोयला कंपनी की है, लेकिन जिम्मेदार मुंह फेरे हुए हैं।
मोरवा से कसर के बीच करीब दस किलोमीटर दूरी में करीब 10 हजार लोगों की आबादी है, जो उठने धूल व कोयले के गुबार के चलते प्रदूषण का दंश झेल रहे हैं। सड़क बनाने की जिम्मेदारी नजदीक में स्थित कोयला कंपनी की है, लेकिन जिम्मेदार मुंह फेरे हुए हैं।