कच्चा रास्ता व मुश्किल भरा सफर होने के कारण एेसे मार्गों पर आवागमन के साधन भी बहुत कम संख्या में उपलब्ध हैं। इसलिए ग्रामीणों के दिन नहीं बदल रहे। ग्रामीणों की शिकायत है कि कई बार जनपद व तहसील मुख्यालय के शासकीय अधिकारियों को समस्या बताई गई मगर इसका निराकरण नहीं हुआ तथा इन मार्गों का सुधार या वहां पक्की सड़क बनाए जाने का काम नहीं हो पाया। इस कारण ग्रामीण पिछड़ेपन की स्थिति को झेलने पर विवश हैं। बताया गया कि एेसे मार्गों में रजमिलान से जरहा, गलिहरा से चितरबई, बिहरा से चितरबई, करहिया से बिहरा व कुछ अन्य शामिल हैं। इन गांवों तक पहुंचने के लिए हर किसी को कच्चा व कष्टकारी रास्ता ही तय करना पड़ रहा है जबकि इस समस्या से काफी बड़ी ग्रामीण आबादी प्रभावित है।
बताया गया कि वर्षा के समय में इन मार्गों पर चल पाना और भी कठिन हो जाता है। इस समय में वहां कीचड़ हो जाता है और उबड़-खाबड़ जगहों पर पानी एकत्र होने के कारण आवागमन आसान नहीं रहता। एेसे समय में इन गांवों तक पहुंच पाना या वहां से दूसरी जगह जाने के लिए लोगों को मजबूरी में कीचड़ भरे रास्ते को पार करना पड़ता है, जहां कभी भी चोटिल होने का डर सताता रहता है। शिकायत है कि इन मार्गों का नियमित सुधार या मरम्मत की भी कोई कार्रवाई किसी विभाग या संबंधित पंचायत के स्तर पर नहीं होती।