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फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के आरोप में RTO एजेंट व मेडिकल स्टोर संचालक गिरफ्तार

locationसिंगरौलीPublished: Sep 12, 2018 06:09:28 pm

Submitted by:

suresh mishra

कोतवाली पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा जेल

RTO agent and medical store operator arrested in singrauli police

RTO agent and medical store operator arrested in singrauli police

सिंगरौली। फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले आरटीओ एजेन्ट और मेडिकल स्टोर संचालक को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 470, 471, 473 के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया, जहां से आरोपियों को जेल भेज दिया है।
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. बालेन्दु शाह के लेटर पैड और सील सहित फर्जी हस्ताक्षर से राघवेन्द्र द्विवेदी के नाम मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया। पुलिस विवेचना के दौरान आरटीओ कार्यालय से सुराग लगाने पर पता चला कि डॉ. बालेन्दु शाह के नाम से जारी मेडिकल सर्टिफिकेट एजेंट विमलेश तिवारी बनाकर देता है।
पुलिस ने विमलेश तिवारी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस की पूछताछ में विमलेश ने बताया कि काली मंदिर रोड स्थित शालू मेडिकल स्टोर संचालक अशोक सिंह 500 रुपए में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट उपलब्ध कराता है। जहां कोतवाली पुलिस ने मेडिकल स्टोर में दबिश दी। पुलिस के छापेमारी कार्रवाई में डॉ. बालेन्दु शाह के नाम का नकली सील पैक, नकली लेटर पैड बरामद हुआ।
गहनता से पूछताछ शुरू
दोनों आरोपी विमलेश तिवारी और अशोक सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर थाने ले गयी। जहां मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के बारे में गहनता से पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कबूल करते हुए बताया कि लोगो से मोटी रकम लेकर अब तक में करीब सैकड़ों फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए है। जिसके बाद पुलिस इस घटना लेकर आरटीओ कार्यालय में एजेंटों से पूछताछ में जुटी है। पुलिस की पूछताछ में आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मच गया है। कोतवाल ने कहा कि फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर जारी किए गए ड्राइविंग लाइसेंस की निरस्त कर दी जाएगी।
बिचौलिया लाला गुप्ता का मिला सहयोग
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि आरटीओ कार्यालय में काम कर रहा बिचौलिया लाला गुप्ता (राजेश) का पूरा सहयोग फर्जी लाइसेंस बनाने में दिया जाता था। हैरत तो यह है कि आरटीओ कार्यालय में एजेंटों का बोलबाला है जिनके माध्यम से हर रोज लाइसेंस, फिटनेस, परमिट बनवाया जा रहा है। ऐसे में यह साबित होता है कि एजेंटों के मार्फत बनाए जा रहे ड्राइविंग लाइसेंस पूरी तरह से फर्जी हो सकता है, क्योंकि आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बना रहे लोगों को एजेंटों का ही सहारा लेना पड़ता है। बताया जा रहा है कि बिचौलिया लाला गुप्ता आरटीओ कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी-अधिकारियों को कमीशन देता था जिससे उसके अवैध कारोबार में अड़चनें नहीं आती थी। यही वजह है कि लाला गुप्ता के सहयोग से आरोपियों ने अब तक में करीब हजारों फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए हैं।
इनकी रही भूमिका
पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल व एएसपी प्रदीप शेण्डे के निर्देशन एवं सीएसपी अनिल सोनकर के मार्गदर्शन और कोतवाल मनीष त्रिपाठी के नेतृत्व में गठित टीम में शामिल प्रधान आरक्षक अरविंद द्विवेदी, अरविंद चतुर्वेदी, पिंटू राय, आरक्षक संजय सिंह परिहार, महेश पटेल, पंकज सिंह एवं महिला आरक्षक वंदना तिवारी की भूमिका रही।
डॉक्टर और आरटीओ कर्मचारी बताते थे आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी अशोक सिंह पिता रामचंद्र सिंह निवासी गनियारी अपने को डॉक्टर बताकर बालेन्दु शाह लेटर पैड पर फर्जी सील लगा हस्ताक्षर करता था। वही दूसरा आरोपी विमलेश तिवारी पिता अम्बिका तिवारी निवासी फुलहा थाना नईगढ़ी खुद को आरटीओ कर्मचारी बताकर आरटीओ कार्यालय से आवेदकों को आवेदन उपलब्ध कराता था। दोनो आरोपी बड़े ही सूझबूझ के साथ अब तक में करीब हजारों लोगो का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए हैं। जारी किए गए लाइसेंस को पुलिस निरस्त कराने की जुगत में लगी है, जो पूरी तरह से फर्जी हैं।
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