स्थानीय पुलिस का यह कारनामा पूरी की पूरी कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। आखिर क्या वजह था कि पुलिस ने अवैध रेत से भरे वाहन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया। चितरंगी व गढ़वा पुलिस के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है। इस तरह के केस अक्सर ही देखने व सुनने को मिल जाते हैं।
रेत माफियाओं की बल्ले-बल्ले, २४ घंटे परिवहन
चितरंगी व गढ़वा में रेत कारोबारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि सारे नियम-कायदे ताक पर रख खनन व परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस केवल तमाशबीन बनी हुई है।कारोबारियों में पुलिस व प्रशासन का भय नहीं रह गया। यही वजह है कि हर रोज सैकड़ों वाहन रेत लेकर प्रदेश की सीमा पार कर रहे हैं। वहां २४ घंटे रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन हो रहा है।
चितरंगी व गढ़वा में रेत कारोबारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि सारे नियम-कायदे ताक पर रख खनन व परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस केवल तमाशबीन बनी हुई है।कारोबारियों में पुलिस व प्रशासन का भय नहीं रह गया। यही वजह है कि हर रोज सैकड़ों वाहन रेत लेकर प्रदेश की सीमा पार कर रहे हैं। वहां २४ घंटे रेत का अवैध उत्खनन व परिवहन हो रहा है।
आला अधिकारियों में कारोबारियों की पकड़ मजबूत
रेत कारोबारियों की जिले के आला अधिकारियों में पकड़ इतनी मजबूत है कि उनके आगे स्थानीय पुलिस बौना साबित हो रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि गत महीने अवैध रेत से भरा एक टिपर वाहन को एसडीओपी ने पकडक़र थाने में खड़ी करा दिया था। इसके बाद दबंग रेत माफिया चितरंगी थाने से रेत वाहन को पुलिस की मौजूदगी में ले गया। घटना को लेकर पुलिस की किरकिरी हुई थी।
रेत कारोबारियों की जिले के आला अधिकारियों में पकड़ इतनी मजबूत है कि उनके आगे स्थानीय पुलिस बौना साबित हो रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि गत महीने अवैध रेत से भरा एक टिपर वाहन को एसडीओपी ने पकडक़र थाने में खड़ी करा दिया था। इसके बाद दबंग रेत माफिया चितरंगी थाने से रेत वाहन को पुलिस की मौजूदगी में ले गया। घटना को लेकर पुलिस की किरकिरी हुई थी।