एसडीएम माड़ा विकास सिंह के नेतृत्व में गठित जांच समिति ने कलेक्टर को अपनी रिपोर्ट सौंप कर घटना में कंपनी की लापरवाही करार दिया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक ऐश डैम के टूटने की मुख्य वजह यह रही कि उसका मेड़ निर्धारित मानक के अनुरूप तैयार नहीं किया गया था। मेड़ निर्माण में केवल मिट्टी व राख का उपयोग पाया गया है।
बोल्डर व छोटी कंक्रीट से पिचिंग नहीं किया गया बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बांध के मेड़ में दरार होने और घटना से पहले अत्यधिक वर्षा होने के चलते डैम में जल भराव हो गया, जिससे डैम टूट गया और डैम का मलबा पानी के साथ बह निकला। गंदे पानी के फैलाव के कारण आस-पास के रहवासियों पर इसका दूषित प्रभाव पड़ा है।
कंपनी से जमाया जा रहा क्षतिपूर्ति
इधर गांव में हुए नुकसान की भरपाई में जिला प्रशासन कंपनी से क्षतिपूर्ति के लिए राशि जमा रहा है। कंपनी ने कलेक्टर के निर्देश पर 50 लाख रुपए की राशि जमा भी कर दी है। माना जा रहा है कि पर्यावरणीय सहित अन्य क्षति के रूप में कंपनी पर 10 लाख रुपए का और भार पड़ सकता है।
इधर गांव में हुए नुकसान की भरपाई में जिला प्रशासन कंपनी से क्षतिपूर्ति के लिए राशि जमा रहा है। कंपनी ने कलेक्टर के निर्देश पर 50 लाख रुपए की राशि जमा भी कर दी है। माना जा रहा है कि पर्यावरणीय सहित अन्य क्षति के रूप में कंपनी पर 10 लाख रुपए का और भार पड़ सकता है।
पर्यावरण क्षति की दृष्टि से भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नुकसान का सर्वे किया जा रहा है। फिलहाल कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि डैम के टूटने में उनकी लापरवाही नहीं है। ग्रामीणों की ओर से डैम को क्षति पहुंचाया गया है, जिससे यह घटना हुई है।