होम आइसोलेशन में रहते हुए भी कोविड मरीजों के इलाज की निभाई थी जिम्मेदारी
- कोविड मरीजों का इलाज करते हुए दो बार संक्रमित हुए थे डॉ. संतोष कुमार
सिंगरौली. परिवार के लोगों की बिना परवाह किए कोरोना के आपदा में लगातार ड्यूटी कर मरीजों की सेवा किया है। एक भी दिन जिम्मेदारी से विरत नहीं रहे। कोविड मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हुए तो होम आइसोलेशन में रहते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों का हाल लिया और उनके इलाज का परामर्श दिया। इतना नहीं कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होते ही फिर से कोविड वार्ड पहुंच गए। बात जिला अस्पताल में पदस्थ मेडिसिन के डॉ. संतोष कुमार की कर रहे हैं। कोविड मरीजों के इलाज के दौरान का अनुभव साझा करते हुए डॉ. संतोष ने कहा कि पहली लहर में सभी ज्यादा भयभीत रहे, लेकिन दूसरी लहर में डर कुछ कम रहा। इसलिए पूरी तन्मयता के साथ कोविड मरीजों की सेवा की गई। स्वस्थ मरीजों की संख्या बढ़ाने को लेकर अजीब सा जुनून सवार था। उनके साथियों व वरिष्ठजनों ने भी पूरी शिद्दत के साथ मरीजों का इलाज किया। जब किसी मरीज की मौत होती थी तो उसके लिए पूरी टीम खुद को फेल अनुभव करती थी। व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बताया कि घर परिवार की चिंता तो थी मगर दूसरी ओर कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की स्थिति देखने पर खुद को नहीं रोक पा रहे थे। मन में आता था कि ऐसे कैसे छोड़ दें इनका परिवार भी तो है। इस दौरान कई समस्याएं भी आईं। कई बार ऐसा भी हुआ कि घर जाने की मोहलत नहीं मिली, लेकिन सारी थकावट तब दूर हो जाती थी, जब मरीज स्वस्थ होकर घर के लिए निकलता था। डॉ. संतोष ने कहा कि दूसरी लहर की आपदा में सभी चिकित्सकों ने अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निभाई। सभी एक दूसरे से प्रेरणा लेते और एक दूसरे को तसल्ली देते। डॉ. संतोष कुमार जब संक्रमण से मुक्त होने के बाद वार्ड में पहुंचे तो उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कोविड मरीजों का हौसला बढ़ाया। कहा कि देखो मैं स्वस्थ होकर आ गया, आप सब भी हिम्मत रखो। जल्द ही स्वस्थ होकर घर पहुंचोगे। इलाज के दौरान उन सब को विशेषज्ञों की कमी जरूर खली, लेकिन उन सबने जैसे-तैसे स्थानीय व बाहर के वरिष्ठ चिकित्सकों से संपर्क कर उनका मार्गदर्शन लेते हुए खुद के अनुभव के आधार पर कोविड मरीजों का इलाज किया और काफी हद तक सफल रहे।
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रात भर कोरोना वार्ड में ड्यूटी, सुबह शादी करने के बाद फिर पहुंचे थे अस्पताल
- डॉ. गंगा वैश्य ने पेश की थी मिशाल, उस दौरान पूरे पीक पर था कोरोना
सिंगरौली. कोरोना की आपदा में मरीजों के इलाज व सेवा को लेकर चिकित्सकों में अजीब जज्बा देखने को मिला था। जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग में पदस्थ चिकित्सक डॉ. गंगा वैश्य इसका उदाहरण हैं। कोरोना वार्ड में ड्यूटी के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को हर कोई सलाम किया। जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग में पदस्थ डॉ. गंगा वैश्य का विवाह गोरबी निवासी डॉ. दीपिता के साथ बीते वर्ष 2021 में 29 अप्रेल को हुआ। जीवन का यह महत्वपूर्ण मौका होने के बावजूद डॉ. गंगा ने मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं छोड़ी। यह वाकया उस समय का है। जब कोरोना पूरे पीक पर था। उन्होंने रात तक कोरोना वार्ड में ड्यूटी की। साढ़े तीन बजे घर पहुंचे। इसके बाद डॉ. दीपिता के साथ परिणय सूत्र में बंधे और वहां फुर्सत होने के बाद शाम 7 बजे फिर से कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने पहुंच गए। डॉक्टर के इस दायित्व बोध की चर्चा जिला अस्पताल से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारियों में थी। वह दौर था जब वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर हाय तौबा मची थी। अस्पताल में ड्यूटी करने से स्टाफ डरता था मगर डॉ. गंगा वैश्य ने शादी समारोह को भी बहुत तवज्जो नहीं दिया। उनका दायित्व था कि मरीजों को देखना पहली प्राथमिकता है।
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- कोविड मरीजों का इलाज करते हुए दो बार संक्रमित हुए थे डॉ. संतोष कुमार
सिंगरौली. परिवार के लोगों की बिना परवाह किए कोरोना के आपदा में लगातार ड्यूटी कर मरीजों की सेवा किया है। एक भी दिन जिम्मेदारी से विरत नहीं रहे। कोविड मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हुए तो होम आइसोलेशन में रहते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों का हाल लिया और उनके इलाज का परामर्श दिया। इतना नहीं कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होते ही फिर से कोविड वार्ड पहुंच गए। बात जिला अस्पताल में पदस्थ मेडिसिन के डॉ. संतोष कुमार की कर रहे हैं। कोविड मरीजों के इलाज के दौरान का अनुभव साझा करते हुए डॉ. संतोष ने कहा कि पहली लहर में सभी ज्यादा भयभीत रहे, लेकिन दूसरी लहर में डर कुछ कम रहा। इसलिए पूरी तन्मयता के साथ कोविड मरीजों की सेवा की गई। स्वस्थ मरीजों की संख्या बढ़ाने को लेकर अजीब सा जुनून सवार था। उनके साथियों व वरिष्ठजनों ने भी पूरी शिद्दत के साथ मरीजों का इलाज किया। जब किसी मरीज की मौत होती थी तो उसके लिए पूरी टीम खुद को फेल अनुभव करती थी। व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बताया कि घर परिवार की चिंता तो थी मगर दूसरी ओर कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की स्थिति देखने पर खुद को नहीं रोक पा रहे थे। मन में आता था कि ऐसे कैसे छोड़ दें इनका परिवार भी तो है। इस दौरान कई समस्याएं भी आईं। कई बार ऐसा भी हुआ कि घर जाने की मोहलत नहीं मिली, लेकिन सारी थकावट तब दूर हो जाती थी, जब मरीज स्वस्थ होकर घर के लिए निकलता था। डॉ. संतोष ने कहा कि दूसरी लहर की आपदा में सभी चिकित्सकों ने अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निभाई। सभी एक दूसरे से प्रेरणा लेते और एक दूसरे को तसल्ली देते। डॉ. संतोष कुमार जब संक्रमण से मुक्त होने के बाद वार्ड में पहुंचे तो उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कोविड मरीजों का हौसला बढ़ाया। कहा कि देखो मैं स्वस्थ होकर आ गया, आप सब भी हिम्मत रखो। जल्द ही स्वस्थ होकर घर पहुंचोगे। इलाज के दौरान उन सब को विशेषज्ञों की कमी जरूर खली, लेकिन उन सबने जैसे-तैसे स्थानीय व बाहर के वरिष्ठ चिकित्सकों से संपर्क कर उनका मार्गदर्शन लेते हुए खुद के अनुभव के आधार पर कोविड मरीजों का इलाज किया और काफी हद तक सफल रहे।
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रात भर कोरोना वार्ड में ड्यूटी, सुबह शादी करने के बाद फिर पहुंचे थे अस्पताल
- डॉ. गंगा वैश्य ने पेश की थी मिशाल, उस दौरान पूरे पीक पर था कोरोना
सिंगरौली. कोरोना की आपदा में मरीजों के इलाज व सेवा को लेकर चिकित्सकों में अजीब जज्बा देखने को मिला था। जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग में पदस्थ चिकित्सक डॉ. गंगा वैश्य इसका उदाहरण हैं। कोरोना वार्ड में ड्यूटी के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को हर कोई सलाम किया। जिला अस्पताल के मेडिसिन विभाग में पदस्थ डॉ. गंगा वैश्य का विवाह गोरबी निवासी डॉ. दीपिता के साथ बीते वर्ष 2021 में 29 अप्रेल को हुआ। जीवन का यह महत्वपूर्ण मौका होने के बावजूद डॉ. गंगा ने मरीजों के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं छोड़ी। यह वाकया उस समय का है। जब कोरोना पूरे पीक पर था। उन्होंने रात तक कोरोना वार्ड में ड्यूटी की। साढ़े तीन बजे घर पहुंचे। इसके बाद डॉ. दीपिता के साथ परिणय सूत्र में बंधे और वहां फुर्सत होने के बाद शाम 7 बजे फिर से कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों को देखने पहुंच गए। डॉक्टर के इस दायित्व बोध की चर्चा जिला अस्पताल से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारियों में थी। वह दौर था जब वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर हाय तौबा मची थी। अस्पताल में ड्यूटी करने से स्टाफ डरता था मगर डॉ. गंगा वैश्य ने शादी समारोह को भी बहुत तवज्जो नहीं दिया। उनका दायित्व था कि मरीजों को देखना पहली प्राथमिकता है।
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