कलेक्टर ने शिविर में उपस्थित महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वह खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्व सहायता समूहों का गठन कर सब्जी उत्पादन, मुर्गी पालन व बकरी पालन जैसा व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। इसके लिए समूहों को उनके व्यवसाय के अनुरूप डीएमएफ से आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराईजाएगी।
कलेक्टर ने कहा कि समूहों की ओर से शुरू किए गए व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बजट की कमी नहीं होने पाएगी। शिविर में कलेक्टर के अलावा अन्य विभागों के अधिकारी भी उपस्थित रहे। उनकी ओर से ग्रामीणों की तमाम तरह की समस्याओं का मौके पर ही निराकरण किया गया।साथ ही उन समस्याओं के लिए समय लिया गया, जिनका निराकरण शिविर में नहीं किया जा सका।
कलेक्टर ने इसके अलावा ग्रामीणों को फसल ऋण माफी के लिए शीघ्र आवेदन करने, गर्भवती महिलाओं को नियमित परीक्षण कराने व बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए नियमित रूप से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। शिविर में जिला पंचायत सीइओ ऋतुराज, एसडीएम विकास सिंह, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास संजय खेडकर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
समूहों को मिली एक लाख रुपए की सहायता
कलेक्टर चौधरी ने शिविर में 7 स्व सहायता समूहों को एक लाख रुपए से अधिक की सहायता प्रदान की।इसके अलावा 10 युवाओं को सुरक्षा गार्ड प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र, 15 बालिकाओं को सिलाई मशीन प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र व चार बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना का प्रमाण पत्र दिया।इसी प्रकार 5 महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के लाभ से लाभान्वित किया गया।
कलेक्टर चौधरी ने शिविर में 7 स्व सहायता समूहों को एक लाख रुपए से अधिक की सहायता प्रदान की।इसके अलावा 10 युवाओं को सुरक्षा गार्ड प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र, 15 बालिकाओं को सिलाई मशीन प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र व चार बालिकाओं को लाडली लक्ष्मी योजना का प्रमाण पत्र दिया।इसी प्रकार 5 महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के लाभ से लाभान्वित किया गया।