प्रशासन ने हाल में सहारा फाइनेंस कंपनी पर जिले मंें लोगों से रुपए जमा करने या निकालने पर रोक लगाई है जबकि इससे पहले विवेकानंद मल्टी स्टेट कंपनी व केमुना क्रेडिट नामक कंपनी को भी प्रतिबंधित किया जा चुका। इनमें से केवल दो कंपनियों में ही बचत के नाम पर जिले के लोगों के लगभग २० करोड़ रुपए डूब गए। सहारा कंपनी में लोगोंं की जमा राशि इससे अलग है जो पूर्ववर्ती कंपनियों से काफी अधिक है।
जिला प्रशासन ने हाल में २८ अगस्त को सहारा क्रेडिट कापरेटिव सोसायटी को प्रतिबंधित कर दिया। इस बाबत जिला दंडाधिकारी की हैसियत से कलेक्टर ने इस कंपनी पर लोगों से जमा के तौर पर कोई रकम नहीं लेने या नया सदस्य बनाने पर रोक लगाई है। यह कंपनी लगभग दस वर्ष से जिले में लगभग ३० शाखाएं खोलकर बचत के नाम पर लोगों से रुपए जमा कर रही थी
लेकिन अब रुपया वापस नहीं लौटाया जा रहा। इसके चलते विधिक प्रक्रिया अपनाने के बाद कंपनी को प्रतिबंधित कर दिया गया है। बताया गया कि जिले में शहर व ग्रामीण क्षेत्र के १८ हजार से अधिक लोग इस कंपनी का शिकार हुए हैं। इन लोगों को अब अपना जमा रुपया वापस लेने के लिए कंपनी के दफ्तरों में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।अब उनको टाला जा रहा है।
इस पिछड़े जिले में भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर बचत के नाम पर रुपया जमा करने व जमा राशि को मात्र पांच वर्ष या उससे कम समय में दोगुना करने का लालच देकर शिकार बनाए जाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले दो अन्य चिटफंड कंपनियां भी यहां के लोगों को करोड़ों का चूना लगा चुकी। इनमें विवेकानंद मल्टी स्टेट क्रेडिट व केमुना क्रेडिट नामक कंपनी शामिल है। दोनों चिटफंड कंपनियों ने भी बहुत कम समय में जमा धन दोगुना करने का लालच देकर निशाना बनाया था।
इस कारण लगभग कुछ महीने पहले उनको भी प्रतिबंधित करना पड़ा। बताया गया कि महाराष्ट्र की विवेकानंद मल्टी स्टेट क्रेडिट कापरेटिव सोसायटी ने जिले में लगभग दस वर्ष तक बचत के नाम पर चिटफंड कारोबार चलाया। इस कंपनी ने जिला मुख्यालय सहित लगभग दस जगह अपनी शाखा खोली और लोगों के रुपए जमा किए लेकिन समय पर जमा रकम नहीं लौटाई गई। इस पर मामला जिला कलेक्टर के न्यायालय में पहुंचा और इस चिटफंड कंपनी पर रोक लगानी पड़ी। हालांकि इस दौरान यह कंपनी यहां के लोगों के लगभग दस करोड़ रुपए का खेल कर गई।
इसी प्रकार केमुना क्रेडिट कापरेटिव सोसायटी मल्टी स्टेट नामक अन्य कंपनी भी बहुत अधिक ब्याज का लालच देकर जिले के लोगों को निशाना बना चुकी। इस चिटफंड कंपनी ने वर्ष २०१७ तक कई वर्ष जिले मंें बचत के नाम पर लोगों के रुपए जमा किए। कंपनी ने बैढऩ सहित बरगवां, नवानगर व मोरवा में शाखाएं खोली और स्थानीय लोगों के लगभग दस करोड़ रुपए जमा किए लेकिन जमा कर्ताओं को रुपया वापस नहीं लौटाया गया। इसे लेकर शिकायत होने पर विधिक प्रक्रिया अपनाकर जिला स्तर पर इस कंपनी को भी प्रतिबंधित करना पड़ा।
अब भी रूका नहीं खेल
इन उदाहरण से साफ होता है कि सामान्य से अधिक ब्याज व बहुत जल्दी जमा धन दोगुना करने का लालच देकर अब तक तीन कंपनियां जिले के लोगों को लूट चुकी। मगर शिकायत है कि अब भी कुछ अन्य कंपनियां दबे-छुपे रूप में सक्रिय हैं और लोगों से रुपया जमा कर रही हैं। ये कंपनियां भी बड़े लाभ का प्रलोभन व लुभावनी स्कीम देकर कारोबार चला रही है। बताया गया कि एेसी चिटफंड कंपनियों ने अपना कार्यक्षेत्र दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र को बनाया हुआ है।
इन उदाहरण से साफ होता है कि सामान्य से अधिक ब्याज व बहुत जल्दी जमा धन दोगुना करने का लालच देकर अब तक तीन कंपनियां जिले के लोगों को लूट चुकी। मगर शिकायत है कि अब भी कुछ अन्य कंपनियां दबे-छुपे रूप में सक्रिय हैं और लोगों से रुपया जमा कर रही हैं। ये कंपनियां भी बड़े लाभ का प्रलोभन व लुभावनी स्कीम देकर कारोबार चला रही है। बताया गया कि एेसी चिटफंड कंपनियों ने अपना कार्यक्षेत्र दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र को बनाया हुआ है।