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झोलाछाप डॉक्टरों की जाल में फंस रहे मरीज, कार्रवाई करना भूल गया स्वास्थ्य महकमा

locationसिंगरौलीPublished: Sep 08, 2019 02:14:14 pm

Submitted by:

Amit Pandey

मरीजों की सेहत से खिलवाड़…..

Singrauli, Singrauli, Madhya Pradesh, India

Singrauli, Singrauli, Madhya Pradesh, India

सिंगरौली. एक कमरे की दुकान में हर मर्र्ज के इलाज करने का दावा मरीजों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। शहर हो गया ग्रामीण अंचल मरीजों को अपने जाल में फंसा कर झोलाछाप डॉक्टर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना डिग्री और बिना पंजीयन के संचालित क्लीनिकों पर स्वास्थ्य महकमा मेहरबान है। बिना लाइसेंस के अवैध तरीके से संचालित मेडिकल स्टोर पर भी अधिकारी गौरफरमाने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की यह लापरवाही तब है, जबकि खुद कलेक्टर केवीएस चौधरी ने अभियान चलाकर कार्रवाई करने का निर्देश जारी कर रखा है।
पिछले महीने कलेक्टर ने झोलाछाप डाक्टरों व अवैध रूप से संचालित मेडिकल स्टोर और पैथॉलाजी पर कार्रवाई करने का सीएमएचओ को सख्त निर्देश दिया है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है। जानकारी के मुताबिक जिले में संचालित एक भी पैथॉलाजी सेंटर रजिस्टर्ड नहीं है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी कोई परवाह नहीं है। सूत्रों की माने तो अवैध क्लीनिक व जांच सेंटरों से सीएमएचओ कार्यालय में कमीशन का खेल चल रहा है। यही वजह है कि मरीजों की जेब पर कैंची चला रहे इन दुकानों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से नजरअंदाज किया जा रहा है।
बगैर पंजीयन चल रही सैकड़ों दुकानें
क्षेत्र में ऐसे नर्सिंग होम व क्लीनिक संचालित हैं। जो रोग से लेकर जानलेवा अन्य रोगों का शर्तिया इलाज करने का दावा कर लोगों को बेदर्दी से लूट रहे हैं। इधर शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक एक भी पैथॉलाजी सेंटरों का रजिस्ट्रेशन नहीं है। जो मरीजों से अलग-अलग जांच की मनमानी फीस ले रहे हैं। इस मसले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अनजान बनकर बैठे हैं।
पैथोलॉजी केन्द्रों में भी जरूरी
एक ओर जहां नर्सिंग होम और क्लीनिक के लिए रजिस्ट्रेशन शर्तो में प्रदूषण बोर्ड सहित अन्य कईविभागों से मंजूरी और एनओसी अनिवार्य की गई है। वहीं शहर सहित जिले भर में संचालित हो रहे पैथालॉजी केंद्रों के लिए भी होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए गाइड लाइन तय की गई है। पैथालॉजी केंद्रों के लिए भी प्रदूषण बोर्ड की ओर से जारी होने वाले प्राधिकार प्रमाण पत्र को अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है।
जानकारी देने से कतरा रहे सीएमएचओ
शहर सहित जिले के ग्रामीण अंचल में चल रहे प्राइवेट क्लीनिक, नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन की जानकारी देने मेें सीएमएचओ डॉ. आरपी पटेल आनाकानी कर रहे हैं। जानकारी मांगे जाने पर उन्होंने टाल मटोल का जवाब दिया है। इससे यह साबित होता है कि अवैध कारोबारियों को बढ़ावा दे रहे हैं।
कलेक्टर ने दिया है कार्रवाई का निर्देश:
बीते माह एक बैठक के दौरान कलेक्टर केवीएस चौधरी ने अवैध क्लीनिक सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। महीना बीत गया, लेकिन अभी स्वास्थ्य विभाग की कवायद शुरू नहीं हुई है।
रजिस्ट्रेशन के लिए यह जरूरी:
– विजिटिंग डॉक्टरों की सूची
– विभिन्न इलाज एवं जांचों के लिए शुल्क की सूची
– चिकित्सकीय उपकरणों की सूची
– भवन का फ्लोर प्लान
– प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्राधिकार प्रमाण पत्र
– बॉयो मेडिकल अपशिष्ट निवारण के लिए किए गए अनुबंध की प्रतिलिपि
– नगरीय निकाय द्वारा जारी भवन की स्वीकृति
– अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र अथवा इसके लिए फोटोग्राफ
– आवेदक का घोषणा पत्र पूर्व में जारी किए गए लाइसेंस की प्रतिलिपि
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