आयोग के सदस्यों ने कुपोषित बच्चों को राहत देने सहित स्वास्थ्य व शिक्षा के अलावा पेयजल की व्यवस्था को लेकर असंतोष जाहिर किया है। उनके ओर से और कार्य किए जाने की आवश्यकता बताई गई है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन ने विशेष रणनीति बनाई है। कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने नीति आयोग के पैरामीटर के तहत कार्य करने का निर्देश देते हुए कहा है कि संबंधित अधिकारियों ने नई योजना के तहत कार्य करना होगा।
जिले के कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त किए जाने के उद्देश्य से नई कार्य योजना के तहत सात नए एनआरसी केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों की सतत मानीटरिंग के लिए महिला बाल विकास एवं ब्लॉक मेडिकल के अधिकारियों को दायित्व सौंपा जाएगा। शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव के लिए व्यापक रूप से प्रचार प्रसार के साथ सभी डिलेवरी प्वाइंट में प्रसव से संबंधित व्यवस्थाओं को प्राथमिकता के साथ मुहैया कराया जाएगा।
गर्भवती महिलाओं को प्रारंभ से ही चिह्नित कर समय-समय पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ आवश्यकतानुसार अन्य डिलेवरी प्वाइंट भी खोले जाने के लिए निर्देशित किया गया। बच्चों का शत-प्रतिशत टीकाकरण सहित स्वास्थ्य से संबंधित कई बिंदुओं को प्राथमिकता में शामिल करते हुए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाए जाने के लिए कई विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया है।
वहीं विद्यालयों में शत-प्रतिशत टायलेट, साफ-सफाई, विद्युतीकरण के साथ शुद्ध पेयजल, शालात्यागी बच्चों का चिन्हांकन कर प्रवेश दिलाने, प्रतिभावान छात्रों के लिए कोचिंग की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया गया है। शहर व ग्रामीण क्षेत्र में शुद्ध पेयजल प्रदाय कराने के लिए प्राथमिकता के बिंदुओं में जोड़ा गया है। इसके अलावा भी जिले के समग्र विकास के लिए कई बिंदुओं को नीति आयोग के पैरामीटर के तहत सम्मिलित किया जाकर जिला अधिकारियों के साथ जिले में कार्यरत औद्योगिक कंपनियों को भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।