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रिहंद जलाशय को प्रदूषण मुक्त करने कंपनियों ने नहीं दिखाई रुचि

locationसिंगरौलीPublished: Jul 23, 2021 11:44:36 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

अभी जलाशय में जा रहा मलवा …..

Singrauli companies are still making Rihand reservoir polluted

Singrauli companies are still making Rihand reservoir polluted

सिंगरौली. विद्युत उत्पादक कंपनियों के फ्लाईऐश डैम के फूटने से पेयजल का एक मात्र स्रोत रिहंद जलाशय खतरनाक रसायनों से युक्त राखड़ से पट गया है। पिछले दो वर्षों में एक के बाद एक करके हुई तीन घटनाओं में लाखों टन राख जलाशय में गई है। अभी भी जिम्मेदार जलाशय के प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं। यह हाल तब है, जबकि पेयजल के लिए जलाशय पर कई लाख लोग निर्भर हैं।
रिहंद जलाशय से जिले में नगर निगम क्षेत्र के वैढऩ जोन में पेयजल की आपूर्ति होती है। डेढ़ लाख से अधिक लोग रिहंद जलाशय का पानी पी रहे हैं। इसके अलावा सोनभद्र जिले के कई हिस्सों में रिहंद जलाशय से पेयजल की आपूर्ति की जाती है। यही वजह है कि सर्वोच्च न्यायालय के ऑन रिकॉर्ड अधिवक्ता अश्विनी दुबे ने रिहंद जलाशय की सफाई का मुद्दा उठाया है। क्योंकि रिहंद जलाशय के पानी के साथ लाखों लोग कई खतरनाक रसायन का सेवन कर रहे हैं।
अधिवक्ता अश्विनी दुबे की ओर से मुद्दा उठाए जाने के बाद एनजीटी की ओवर साइट कमेटी ने रिहंद जलाशय की सफाई किए जाने का निर्देश दिया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। न ही कंपनियों की ओर से जलाशय की सफाई कराई गई और न ही जिला प्रशासन ने इस ओर से कोई रुचि दिखाई। आलम यह है कि अभी भी लोग रिहंद जलाशय के रसायनयुक्त पानी का सेवन कर रहे हैं।
वर्ष 2019 से लेकर अब तक तीन घटनाएं
विद्युत उत्पादक कंपनियों की ओर से बनाए गए फ्लाईऐश डैम के फूटने की तीन घटनाएं हुई हैं। रिलायंस सासन पॉवर, एनटीपीसी विंध्याचल व एस्सार पॉवर के डैम से लाखों टन कोयले की राख रिहंद जलाशय में गई है, लेकिन उसकी सफाई की जरूरत नहीं समझी जा रही है। फिलहाल यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है, जहां से राहत की उम्मीद लगाई जा रही है।
जलाशय में अभी भी जा रही प्रदूषित
पानी रिहंद जलाशय में अभी भी फ्लाईऐश डैम व कोयला खदानों से निकलने वाला प्रदूषित पानी जा रहा है। जलाशय को प्रदूषित किए जाने के कारनामे पर न ही जिला प्रशासन गंभीर है और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ही कोई कार्रवाई करने की जरूरत समझ रहे हैं। कंपनियों के रसूख के आगे नतमस्तक अधिकारी एकलौते जल स्रोत को प्रदूषण से मुक्त कराने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं।
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