मौसम के बदले रूख और बढ़ी आद्र्रता के बीच जिले की हवा खराब होती जा रही है। ऊर्जाधानी में कोयला व विद्युत उत्पादक कंपनियां प्रदूषण का प्रमुख कारण माना जा रहा है। एप पर जारी रिकॉर्ड के मुताबिक 20 नवंबर को वायु गुणवत्ता इंडेक्स भोपाल का 322 और जबलपुर का 309 अंक दर्ज किया गया। वहीं दूसरी ओर से सिंगरौली में वायु गुणवत्ता इंडेक्स 331 दर्ज किया गया है। इसे सबसे खराब स्थिति माना जा रहा है।
अभी यह स्थिति बनी रहेगी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों की माने तो जिले की अभी यह स्थिति बनी रहने वाली है। नवंबर के दूसरे सप्ताह से लगातार जिले का वायु गुणवत्ता इंडेक्स 300 से अधिक ही चल रहा है। माना जा रहा है कि अभी यह स्थिति बनी रहेगी। हालांकि अधिकारियों की दलील है कि जिले के लिए यह खतरा नया नहीं है। बीते वर्षों में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिलती रही है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों की माने तो जिले की अभी यह स्थिति बनी रहने वाली है। नवंबर के दूसरे सप्ताह से लगातार जिले का वायु गुणवत्ता इंडेक्स 300 से अधिक ही चल रहा है। माना जा रहा है कि अभी यह स्थिति बनी रहेगी। हालांकि अधिकारियों की दलील है कि जिले के लिए यह खतरा नया नहीं है। बीते वर्षों में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिलती रही है।
दो दर्जन चिमनियां बनी कारण
जिले व आसपास के क्षेत्र में विद्युत उत्पादक कंपनियों की 20 चिमनियां 24 घंटे जहरीला धुआं उगलती हैं। हालांकि प्रदूषण को कम करने के लिए चिमनियों में एफजीडी (फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन) तकनीकी लगाने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन चिमनियों से धुआं निकलने का सिलसिला जारी है, जिससे यहां का वायु प्रदूषण स्तर भोपाल व जबलपुर जैसे शहरों से भी अधिक हैळ। गौरतलब है कि एनटीपीसी विंध्यनगर में छह, एनटीपीसी सिंगरौली शक्तिनगर में चार, हिंडालकों में छह, रिलायंस में तीन व एस्सार पॉवर में एक चिमनी पूरे समय धुआं उगलती हैं।
जिले व आसपास के क्षेत्र में विद्युत उत्पादक कंपनियों की 20 चिमनियां 24 घंटे जहरीला धुआं उगलती हैं। हालांकि प्रदूषण को कम करने के लिए चिमनियों में एफजीडी (फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन) तकनीकी लगाने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन चिमनियों से धुआं निकलने का सिलसिला जारी है, जिससे यहां का वायु प्रदूषण स्तर भोपाल व जबलपुर जैसे शहरों से भी अधिक हैळ। गौरतलब है कि एनटीपीसी विंध्यनगर में छह, एनटीपीसी सिंगरौली शक्तिनगर में चार, हिंडालकों में छह, रिलायंस में तीन व एस्सार पॉवर में एक चिमनी पूरे समय धुआं उगलती हैं।
2024 तक राहत की उम्मीद
वर्ष 2024 तक विद्युत उत्पादक कंपनियों के सभी यूनिटों में एफजीडी तकनीकी लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के मुताबिक एफजीडी लगाने की प्रक्रिया पूरी हुई तो चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं बंद हो जाएगा। साथ ही सडक़ मार्ग से कोल परिवहन भी वर्ष 2024 तक न्यूनतम होने की संभावना है। इस तरह से अभी जिले के रहवासियों को तीन वर्ष तक और वायु प्रदूषण का दंश झेलना होगा।
वर्ष 2024 तक विद्युत उत्पादक कंपनियों के सभी यूनिटों में एफजीडी तकनीकी लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के मुताबिक एफजीडी लगाने की प्रक्रिया पूरी हुई तो चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं बंद हो जाएगा। साथ ही सडक़ मार्ग से कोल परिवहन भी वर्ष 2024 तक न्यूनतम होने की संभावना है। इस तरह से अभी जिले के रहवासियों को तीन वर्ष तक और वायु प्रदूषण का दंश झेलना होगा।