script9 साल बाद मिली जुबान, अब गाती-गुनगुनाती हैं गुनगुन | Singrauli: Found tongue after 9 years, now singing and humming | Patrika News

9 साल बाद मिली जुबान, अब गाती-गुनगुनाती हैं गुनगुन

locationसिंगरौलीPublished: Jan 24, 2022 11:42:23 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में दी जा रही स्पीच थिरैपी से आबाद हो रही गुनगुन जैसे कई बच्चों की दुनिया ….

Singrauli: Found tongue after 9 years, now singing and humming

Singrauli: Found tongue after 9 years, now singing and humming

सिंगरौली. कान में जन्मजात समस्या के चलते गुनगुन के लिए 9 वर्षों तक यह दुनिया सन्नाटा भरी रही। आवाज की दुनिया से उनका कोई वास्ता नहीं था। सो सुनने में अक्षम गुनगुन बोलना भी नहीं जानती थी, लेकिन अब वह न केवल गाती-गुनगुनाती हैं। बल्कि शिक्षित होने के लिए पढ़ाई भी शुरू कर दी है। यह संभव हुआ स्पीच थिरैपी के जरिए। कानों में एक छोटा सा आपरेशन कर सुनने के लिए मशीन लगाई गई। साथ ही उन्हें बोलना सीखने के लिए स्पीच थिरैपी दी जा रही है।
जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में गुनगुन सरीके कुल 12 ऐसे बच्चे हैं, जिनकी जिंदगी का फलसफा बदल गया है। सुनने व बोलने में अक्षम यह बच्चे अब न केवल बोलना सीख रहे हैं। बल्कि उनकी ओर से पढ़ाई भी शुरू कर दी गई है। ताकि उनकी दुनिया भी बाकी के दूसरे बच्चों की तरह आबाद हो सके। पिछले एक महीने से प्रशिक्षण ले रही नौ वर्ष की गुनगुन तिवारी और 7 वर्ष की अन्नू सोनी में आया बदलाव यह बयां करने के लिए काफी है कि कोशिश की जाए तो ऐसे दिव्यांग बच्चों के भविष्य संवर सकता है।
बच्चों में होती है अनोखी प्रतिभा
पुनर्वास केंद्र में बच्चों को स्पीच थिरेपी दे रही विशेषज्ञ देवयानी शुक्ला बताती हैं कि ऐसे बच्चों में अनोखी प्रतिभा होती है। उन्हें बस प्रशिक्षित करने की जरूरत होती है। उनका कहना है कि गुनगुन व अन्नू के अलावा कायनात जैसी अन्य बच्चों में न केवल बोलने की क्षमता विकसित हो रही है। बल्कि सभी ने पढ़ाई भी शुरू कर दी है। जल्द ही वह सामान्य बच्चों की तरह अपना भविष्य संवार सकेंगी।
अभिभावकों ने बयां किया अनुभव

सुनने में पूरी तरह से अक्षम थी गुनगुन
बसंत बिहार कालोनी निवासी गुनगुन के पिता अनिल तिवारी के मुताबिक उनके दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। बेटी गुनगुन बचपन से ही सुनने में अक्षम थी, लेकिन कॉक्लेयर इंप्लांट के जरिए उसके कानों में मशीन लगाई गई है। उसके बाद स्पीच थिरेपी दी जा रही है। कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने बेटी को एक गीत गुनगुनाते सुना। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अन्नू ने सीख लिया लिखना-पढऩा
बैढऩ निवासी अन्नू के पिता संतोष सोनी भी बेटी में आ रहे बदलाव को लेकर उत्साहित हैं। दो महीने पहले तक सुनने व बोलने में अक्षम अन्नू अब न केवल हिन्दी के अक्षर पढ़ रही हैं। बल्कि उसने लिखना भी सीख लिया है। संतोष का कहना है कि वह बेटी के भविष्य को लेकर काफी चिंतित थे, लेकिन अब उनमें बेटी का भविष्य संवर जाने की उम्मीद दिख रही है।
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