जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में गुनगुन सरीके कुल 12 ऐसे बच्चे हैं, जिनकी जिंदगी का फलसफा बदल गया है। सुनने व बोलने में अक्षम यह बच्चे अब न केवल बोलना सीख रहे हैं। बल्कि उनकी ओर से पढ़ाई भी शुरू कर दी गई है। ताकि उनकी दुनिया भी बाकी के दूसरे बच्चों की तरह आबाद हो सके। पिछले एक महीने से प्रशिक्षण ले रही नौ वर्ष की गुनगुन तिवारी और 7 वर्ष की अन्नू सोनी में आया बदलाव यह बयां करने के लिए काफी है कि कोशिश की जाए तो ऐसे दिव्यांग बच्चों के भविष्य संवर सकता है।
बच्चों में होती है अनोखी प्रतिभा
पुनर्वास केंद्र में बच्चों को स्पीच थिरेपी दे रही विशेषज्ञ देवयानी शुक्ला बताती हैं कि ऐसे बच्चों में अनोखी प्रतिभा होती है। उन्हें बस प्रशिक्षित करने की जरूरत होती है। उनका कहना है कि गुनगुन व अन्नू के अलावा कायनात जैसी अन्य बच्चों में न केवल बोलने की क्षमता विकसित हो रही है। बल्कि सभी ने पढ़ाई भी शुरू कर दी है। जल्द ही वह सामान्य बच्चों की तरह अपना भविष्य संवार सकेंगी।
पुनर्वास केंद्र में बच्चों को स्पीच थिरेपी दे रही विशेषज्ञ देवयानी शुक्ला बताती हैं कि ऐसे बच्चों में अनोखी प्रतिभा होती है। उन्हें बस प्रशिक्षित करने की जरूरत होती है। उनका कहना है कि गुनगुन व अन्नू के अलावा कायनात जैसी अन्य बच्चों में न केवल बोलने की क्षमता विकसित हो रही है। बल्कि सभी ने पढ़ाई भी शुरू कर दी है। जल्द ही वह सामान्य बच्चों की तरह अपना भविष्य संवार सकेंगी।
अभिभावकों ने बयां किया अनुभव सुनने में पूरी तरह से अक्षम थी गुनगुन
बसंत बिहार कालोनी निवासी गुनगुन के पिता अनिल तिवारी के मुताबिक उनके दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। बेटी गुनगुन बचपन से ही सुनने में अक्षम थी, लेकिन कॉक्लेयर इंप्लांट के जरिए उसके कानों में मशीन लगाई गई है। उसके बाद स्पीच थिरेपी दी जा रही है। कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने बेटी को एक गीत गुनगुनाते सुना। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
बसंत बिहार कालोनी निवासी गुनगुन के पिता अनिल तिवारी के मुताबिक उनके दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। बेटी गुनगुन बचपन से ही सुनने में अक्षम थी, लेकिन कॉक्लेयर इंप्लांट के जरिए उसके कानों में मशीन लगाई गई है। उसके बाद स्पीच थिरेपी दी जा रही है। कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने बेटी को एक गीत गुनगुनाते सुना। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अन्नू ने सीख लिया लिखना-पढऩा
बैढऩ निवासी अन्नू के पिता संतोष सोनी भी बेटी में आ रहे बदलाव को लेकर उत्साहित हैं। दो महीने पहले तक सुनने व बोलने में अक्षम अन्नू अब न केवल हिन्दी के अक्षर पढ़ रही हैं। बल्कि उसने लिखना भी सीख लिया है। संतोष का कहना है कि वह बेटी के भविष्य को लेकर काफी चिंतित थे, लेकिन अब उनमें बेटी का भविष्य संवर जाने की उम्मीद दिख रही है।
बैढऩ निवासी अन्नू के पिता संतोष सोनी भी बेटी में आ रहे बदलाव को लेकर उत्साहित हैं। दो महीने पहले तक सुनने व बोलने में अक्षम अन्नू अब न केवल हिन्दी के अक्षर पढ़ रही हैं। बल्कि उसने लिखना भी सीख लिया है। संतोष का कहना है कि वह बेटी के भविष्य को लेकर काफी चिंतित थे, लेकिन अब उनमें बेटी का भविष्य संवर जाने की उम्मीद दिख रही है।