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मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, अवैध क्लिनिक व मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई नहीं

locationसिंगरौलीPublished: Feb 26, 2021 07:26:21 pm

Submitted by:

Amit Pandey

गांव ही नहीं शहर में भी संचालित हैं अवैध क्लिनिक व मेडिकल स्टोर….

Singrauli Health Department is not taking action

Singrauli Health Department is not taking action

सिंगरौली. छमरछ में झोलाछाप के इलाज से हुई दो मासूम बच्चों की मौत के बाद भी अवैध क्लीनिक व मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई नहीं हो रही है। अधिकारियों की उदासीनता के चलते झोलाछाप मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। गांव ही नहीं जिला मुख्यालय में अधिकारियों के नाक के नीचे बिना रजिस्ट्रेशन अवैध क्लीनिक व मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं। कहने को तो बैठते सब अफसरान यहीं हैं लेकिन वो नींद से तब जागते हैं जब कोई बड़ी घटना घटित हो जाती है। उदाहरण के लिए छमरछ गांव की घटना ही काफी है। इस मामले में अफसर एफआइआर कराकर दुकान सीज कर खानापूर्ति कर लिया है। जानकारी के लिए बतादें कि शहर सहित ग्रामीण अंचल में एक कमरे की कोठरी में मरीजों के इलाज से लेकर भर्ती करने तक का दावा करने वाले झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने से जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कतरा रहा है।
यदि इन पर नकेल कसा गया होता तो मरीजों के सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करते। हैरान करने वाली बात यह है कि भले ही स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर मसले को नजरअंदाज कर रहा है लेकिन जिला प्रशासन को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि अस्पताल सूत्रों ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी से लेकर ब्लाक स्तर तक के चिकित्सकों की सांठगांठ है चाहे वह पैथालॉजी हो या अवैध क्लीनिक। ऐसे में जब तक जिला प्रशासन एक्शन मोड नहीं आएगा तब अवैध क्लीनिक व झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं हो सकती है।

मौत के बाद भी नहीं चेत रहे अफसर
ग्रामीण क्षेत्र की बात की जाए तो झोलाछाप डाक्टरों की ओर से मरीजों को मौत की चौखट पर पहुंचाने के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। गत साल तेलदह में एक झोलाछाप डॉक्टर ने अधेड़ को इंजेक्शन लगाकर कभी न खुलने वाली गहरी नींद में सुुला दिया था। अधेड़ की मौत के बाद बवाल भी हुआ था। अब इधर छमरछ गांव की घटना ताजा उदाहरण है। झोलाछाप डॉक्टर कभी-कभी सामान्य बीमारी को आसान बताकर इलाज शुरू कर देते हैं। अधिक समय बीत जाने के कारण बीमारी गंभीर हो जाती है। जो मरीजों को जानलेवा साबित हो जाती है।

गंभीर होने पर करते हैं रेफर
बीते कुछ वर्षों से बिना डिग्रीधारी झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गई है। ग्रामीण क्षेत्र में संचालित हो रहे निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ झोलाछाप डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है लेकिन इन पर कार्रवाई करने के लिए न तो महकमा आगे आ रहा और न ही प्रशासन।
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