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MP के इस जिले में मॉडल स्कूलों का निकला दिवाला, 1200 छात्रों को पढ़ाने के लिए मात्र 6 शिक्षक नियुक्त

locationसिंगरौलीPublished: Jul 08, 2018 03:43:59 pm

Submitted by:

suresh mishra

छात्रों का भविष्य चौपट, नहीं लग पा रही कक्षाएं

Singrauli Model School news in hindi

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सिंगरौली। मॉडल स्कूलों में जिले के होनहार छात्रों का प्रवेश होता है। जिले के गिने-चुने प्रतिभाशाली छात्र यहां प्रतिवर्ष प्रवेश लेते हैं, लेकिन इन मॉडल स्कूलों की हालत अन्य स्कूलों से भी बदतर हो गई है। छात्र तो इस अपेक्षा में प्रवेश लेते हैं कि यहां पढ़ाई एवं शैक्षणिक व्यवस्था उच्च स्तर की होगी लेकिन प्रवेश लेने के बाद उन्हें अफसोस होता है। आपको यह जानकर यह हैरत होगी कि बैढऩ मॉडल स्कूल में 400 छात्र-छात्राएं हैं, लेकिन शिक्षक दो पदस्थ हैं।
इसी प्रकार चितरंगी एवं बैढऩ में भी दो-दो शिक्षक पदस्थ है। यहां 9वीं से 12वीं तक 400 छात्रों का प्रवेश होता है। प्रत्येक कक्षा की 100 सीटें हैं। अब आप स्वत: ही अंदाजा लगा सकते हैं कि 400 छात्रों को 2 शिक्षक कैसे और क्या पढ़ाते होंगे। जिले में तीन मॉडल स्कूल हैं जहां 1200 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं।
होनहार छात्रों का होता है प्रवेश
जिले के प्रतिभावान एवं होनहार छात्र-छात्राएं मॉडल स्कूल में बड़े अरमान के साथ 9वीं कक्षा में प्रवेश लेते हैं। प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद ही इन स्कूलों में छात्र पहुंच पाते हैंं। छात्रों की अपेक्षा रहती है कि यहां पढ़ाई के अच्छे प्रबंध होंगे लेकिन जब वे स्कूल में पहुंचते हैं तब उन्हे हकीकत मालूम होती है। स्कूल में शिक्षक ही हैं।
खराब परीक्षा परिणाम से नहीं चेता विभाग
शिक्षा विभाग के अधिकारी पिछले सत्र में आये खराब परीक्षा परिणाम के बाद भी नहीं चेते हैं। यही वजह है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है। पिछले वर्ष 10वीं का परीक्षा परिणाम खराब रहा। सिंगरौली जिला सबसे निचले पायदान पर था। ऐसे में यदि शिक्षकों की व्यवस्था समय पर नहीं की गई तो स्थिति सुधरने की बजाय दिनो दिन खरबा होती जायेगी।
महज दिखावा कर रहा जिला प्रशासन
ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन सिंगरौली में कम से कम मॉडल स्कूल के लिए शिक्षकों की व्यवस्था नहीं कर सकता। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो डीएफएफ के बजट का कुछ हिंस्सा विशेष योजना बनाकर इसके लिए खर्च किया जा सकता है। इस संबंध में पिछले वर्ष जिला पंचायत उपाध्यक्ष रविन्द्र सिंह ने प्रशासन को प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन अफसोस की बात यह रही की जिला प्रशासन उसको आगे बढ़ाने की बजाय उस पर कोई पहल नहीं की।
14 पद हैं स्वीकृति
तीनो मॉडल स्कूलों के लिए 14-14 पद स्वीकृत किये गये हैं। इन स्कूलों की निगरानी कलेक्टर की देख-रेख में होती है। इसके बावजूद यहां न तो पद भरे गये और नही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था भी अभी तक नहीं की गई है। अतिथि शिक्षकों का मानदेय काफी कम है जिसकी वजह से कोई अतिथि शिक्षक पढ़ाने में रूचि नहीं लेता। ऐसे में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
बैढऩ उत्कृष्ट की भी हालत खराब
जिला मुख्यालय में स्थित बैढऩ उत्कृष्ट विद्यालय की भी हालत खराब है। यहां अंग्रेजी-गणित और हिन्दी विषय के पद रिक्त पड़े हुए हैं। बताया जाता है कि गणित एवं हिन्दी विषय के शिक्षकों का इस वर्ष स्थानान्तरण हो गया जबकि अंग्रेजी के शिक्षक पिछले वर्षों से ही पदस्थ नहीं हैं। ऐसे में छात्रों के लिए बड़ी मुसीबत हो रही है।
कई विषयों के शिक्षक नहीं
शिक्षा विभाग की जानकारी के मुताबिक बैढऩ मॉडल स्कूल में महज भूगोल एवं रसायन के दो शिक्षक पदस्थ हैं। यहां हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, फिजिक्स, बायोलॉजी के शिक्षक नही हैं। जिला मुख्यालय में स्थित मॉडल स्कूल की यह हालत है। इसी प्रकार देवसर मॉडल स्कूल में महज गणित एवं अर्थ शास्त्र के एक-एक शिक्षक पदस्थ हैं। यहां के छात्रों को हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, बॉयोलॉजी, फिजिक्स की पढ़ाई स्वत: करनी पड़ रही है या फिर ट्यूशन ही उनका एक मात्र सहारा है। चितरंगी मॉडल स्कूल की भी हालत इसी तरह है। यहां महज हिन्दी और गणित के एक-एक शिक्षक पदस्थ हैं। इसके अलावा अन्य विषय छात्रों को पढ़ाने वाला कोई नही है। मॉडल स्कूल की यह हालत बताती है कि प्रशासन एवं शिक्षा विभाग छात्रों की पढ़ाई को लेकर ज्यादा गंभीर नही है।
कुछ दिनों बाद अतिथि शिक्षकों की भर्ती शुरू होने वाली है। प्रयास किया जाएगा कि आवश्यकता के मुताबिक अतिथि शिक्षक रखे जाएं। जिससे समस्या कुछ हद तक दूर हो जाएगी।
प्रियंक मिश्रा, जिला पंचायत सीईओ

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