बता दें कि इस इलाके में जब विभिन्न कंपनियों ने अपना काम-काज फैलाना शुरू किया था तभी करीब डेढ़ साल पहले यह समझौता हुआ था कि कंपनियां फ्लाइऐश का बंदोबस्त करेंगी। लेकिन हुआ कुछ नहीं। एक पर एक तीन हादसे हो चुके फिर भी जाने क्यों स्थानीय प्रशासन और राज्य शासन चुप्पी साधे बैठा है।
अब अगर हादसों का जिक्र करें तो सबसे पहले अगस्त 2019 में एस्सार पॉवर का फ्लाईऐश डैम फूटा। नतीजतन आधा दर्जन गांव बर्बाद हो गए। अभी इस बर्बादी के आंसू थमें भी न थे कि अक्टूबर में एनटीपीसी विंध्यनगर का फ्लाईऐश डैम फूटा फिर करीब डेढ महीना पहले 10 अप्रैल को रिलायंस सासन पॉवर का फ्लाईऐश डैम फूट गया। इससे तीन नाबालिगों सहित 6 लोगों की मौत भी हुई। पूरा गांव तबाह हो गया। लेकिन वो समझौता जो डेढ़ साल पहले हुआ था उसे अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।
जिले में संचालित विद्युत उत्पादक कंपनियों से निकलने वाले फ्लाईऐश (कोयले की राख) इलाके की सबसे बड़ी समस्या है। वर्तमान में ज्यादातर कंपनिया फ्लाईऐश को डाइक में डंप कर रही हैं। इसके फूटने से ही ये तीनो दुर्घटनाएं हुईँ। वैसे तबाही का यह मंजर वर्षों से चल रहा है। इसी की रोकथाम के लिए डेढ साल पहले कोयला कंपनी एनसीएल व एनटीपीसी के बीच समझौता हुआ था कि फ्लाईऐश को गोरबी की बंद खदान में डंप किया जाएगा। एनसीएल ने अपनी गोरबी की खदान में फ्लाईऐश भरने के लिए एनटीपीसी को सहमति भी दी थी। यही नहीं रिलायंस सासन पॉवर, एस्सार पॉवर व हिंडालको को भी बंद खदानों में ही फ्लाईऐश डालने की योजना बनी। फ्लाईऐश के दूसरे बंदोबस्त के लिए भी निर्देश जारी किए गए। लेकिन अभी तक हुआ कुछ भी नही।
दरअसल विद्युत उत्पादक कंपनियों को गोरबी की बंद खदान तक फ्लाईऐश पहुंचाने के लिए करीब 40 किलोमीटर तक की पाइप लाइन बिछानी है। इसमें करोड़ों रुपये का खर्च आएगा। लिहाजा कंपनियों को डाइक में ही फ्लाईऐश डालना ज्यादा आसान लगता है।
ये हो सकता है -गोरबी खदान में 30 मिलियन टन फ्लाईऐश डंप हो सकता है
-खदान का 14 मिलियन क्यूबिक मीटर का भाग दिया गया है
-करीब 10 साल तक एनटीपीसी की दोनों कंपनियां करेंगी इसका इस्तेमाल
-खदान का 14 मिलियन क्यूबिक मीटर का भाग दिया गया है
-करीब 10 साल तक एनटीपीसी की दोनों कंपनियां करेंगी इसका इस्तेमाल
ये हो रहा
फ्लाईऐश का इस्तेमाल सड़क बनाने में हो रहा
-ईंट बनाने के लिए मुफ्त में दी जा रही फ्लाईएश
-गड्ढ़ा भरा जा रहा है फ्लाईऐश से
फ्लाईऐश का इस्तेमाल सड़क बनाने में हो रहा
-ईंट बनाने के लिए मुफ्त में दी जा रही फ्लाईएश
-गड्ढ़ा भरा जा रहा है फ्लाईऐश से