जानकारी के लिए बताते चलें कि जिले में लगभग 200 से अधिक लंबित अपराधिक प्रकरणों की सूची बनी हुई है। जिसका निपटारा पुलिस नहीं कर पा रही है। गंभीर वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस उन अपराधियों कितना तक नहीं पहुंच पाती है जो अपराध को अंजाम देकर फरार हो गए हैं। अक्सर यही अपराधी अपराध की पुनरावृति करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हैरान करने वाली बात यह है कि तत्कालीन एसपी ने लंबित अपराधिक प्रकरणों का निपटारा करने के लिए जिले भर के थानेदारों को सक्रियता दिखाने के लिए निर्देशित किया था मगर हुआ यूं कि निर्देश के कुछ दिनों तक लंबित प्रकरणों को निपटाने में जिले की हाईटेक पुलिस जुटी रही मगर इसके बाद मामलों को निपटाने में पुलिस रूचि नहीं दिखा रही है।
देहात के थानों में सबसे अधिक लंबित मामले
जानकारी के लिए बतादें कि देहात के थाना क्षेत्रों में ज्यादातर मामले लंबित पड़े हैं। ऐसा इसलिए कि ग्रामीण अंचल के थानेदार लंबित आपराधिक प्रकरणों को निपटाने में सक्रियता नहीं दिखाती है। जिससे यह मामले लंबित पड़े रहते हैं। यह बात और है कि देहात के थानों में लंबित मामलों का निपटारा को लेकर महज खानापूर्ति की जाती है। देखा जाए तो गंभीर से गंभीर आपराधिक मामले थानों में पेंडिंग में पड़े हैं। कुछ ऐसे भी मामले हैं जिनमें पुलिस उलझना नहीं चाहती है और यही कारण है कि यह मामले लंबित पड़े हैं।
जानकारी के लिए बतादें कि देहात के थाना क्षेत्रों में ज्यादातर मामले लंबित पड़े हैं। ऐसा इसलिए कि ग्रामीण अंचल के थानेदार लंबित आपराधिक प्रकरणों को निपटाने में सक्रियता नहीं दिखाती है। जिससे यह मामले लंबित पड़े रहते हैं। यह बात और है कि देहात के थानों में लंबित मामलों का निपटारा को लेकर महज खानापूर्ति की जाती है। देखा जाए तो गंभीर से गंभीर आपराधिक मामले थानों में पेंडिंग में पड़े हैं। कुछ ऐसे भी मामले हैं जिनमें पुलिस उलझना नहीं चाहती है और यही कारण है कि यह मामले लंबित पड़े हैं।
हर महीने 10 अपराध लंबित
जिले के थानों में अपराध हो रहे हैं और पुलिस उन मामलों का निपटारा भी कर रही है। मगर हो रहे अपराधों में महीने भर के दौरान औसतन 10 से अधिक मामले लंबित रह जाते हैं। इसी तरह पुलिस इस मामले को नजरअंदाज कर देती है और वर्तमान में हो रही अपराधिक घटनाओं में उलझ जाती है। नतीजा यह है कि महीने में लंबित रह गए 10 मामले लंबित ही रह जाते हैं क्योंकि जो मामला पेंडिंग में हो गया फिर आने वाले समय में मैं आपराधिक प्रकरणों में पुलिस निपटारा करने में जुट जाती है। इसके बाद वह मामला लंबित ही रह जाता है।
जिले के थानों में अपराध हो रहे हैं और पुलिस उन मामलों का निपटारा भी कर रही है। मगर हो रहे अपराधों में महीने भर के दौरान औसतन 10 से अधिक मामले लंबित रह जाते हैं। इसी तरह पुलिस इस मामले को नजरअंदाज कर देती है और वर्तमान में हो रही अपराधिक घटनाओं में उलझ जाती है। नतीजा यह है कि महीने में लंबित रह गए 10 मामले लंबित ही रह जाते हैं क्योंकि जो मामला पेंडिंग में हो गया फिर आने वाले समय में मैं आपराधिक प्रकरणों में पुलिस निपटारा करने में जुट जाती है। इसके बाद वह मामला लंबित ही रह जाता है।
यह है थाना क्षेत्र
बता दें कि जिले में कोतवाली, विंध्यनगर, मोरवा, चितरंगी, बरगवां, गढ़वा, सरई, माड़ा, नवानगर, जियावन, लंघाडोल थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस चौकी का भी संचालन हो रहा है। जहां ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्र के थानों में लंबित पड़े हैं।
बता दें कि जिले में कोतवाली, विंध्यनगर, मोरवा, चितरंगी, बरगवां, गढ़वा, सरई, माड़ा, नवानगर, जियावन, लंघाडोल थाना क्षेत्र के अंतर्गत पुलिस चौकी का भी संचालन हो रहा है। जहां ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्र के थानों में लंबित पड़े हैं।