scriptलग्जरी वाहनों से घूम रहे अफसर, बदमाश पकडऩे खटारा वाहनों से दौड़ लगा रही पुलिस, बीच रास्ते में दगा दे जाते हैं ज्यादातर वाहन | Singrauli police catch bad guys from Khatara vehicle | Patrika News

लग्जरी वाहनों से घूम रहे अफसर, बदमाश पकडऩे खटारा वाहनों से दौड़ लगा रही पुलिस, बीच रास्ते में दगा दे जाते हैं ज्यादातर वाहन

locationसिंगरौलीPublished: Jul 04, 2019 02:42:03 pm

Submitted by:

Amit Pandey

थानों में उपलब्ध वाहन भी सही-सलामत नहीं…..

Registration of misguided vehicles can be canceled by depositing only 10% tax

Registration of misguided vehicles can be canceled by depositing only 10% tax

सिंगरौली. ऊर्जाधानी की पुलिस दस साल पुरानी व तीन लाख किलोमीटर से अधिक चल चुके खटारा वाहनों के भरोसे अपराध पर लगाम लगाने की कोशिश में जुटी है। पुलिस ऐसे वाहनों से बदमाशों का पीछा करती है, जो कभी भी दगा दे जाते हैं। ज्यादातर थानों की गाडिय़ां न केवल निर्धारित किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं, बल्कि इनके कलपुर्जे भी पुराने हो चुके हैं। किसी को धक्का मारकर चालू करना पड़ता है तो कोई चलते-चलते बीच रास्ते में ही बंद हो जाती है। ऐसे में अपराधियों का पीछा पुलिस नहीं कर पाती हैं। हालात ऐसे हैं कि पुलिस अपनी जान पर खेलकर चोर-बदमाशों से टक्कर लेने को मजबूर है।
जिले में पुलिस विभाग के अधिकारी जहां वीआइपी लग्जरी वाहनों से चलते हैं। वहीं दूसरी ओर बदमाशों को पकडऩे के लिए दिन-रात दौड़ लगाने वाली पुलिस को खटारा वाहन उपलब्ध हैं।वाहन की वैधता खत्म होने के बावजूद न ही वाहनों को बदला जा रहा है और न ही उनका उचित मेंटिनेंस कराया जा रहा है। ऐसे में, अनफिट वाहनों से हादसा की संभावनाओं को इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि पुलिस अफसर इसे वजह नहीं मानते, क्योंकि उन्होंने हालात को सुधारने की दिशा में कोई पहल नहीं की है। आज भी पुराने ढर्रे पर पुलिसिंग जारी है। वही पुराने वाहन और वही कार्यशैली। पुलिस अफसर तो वाहनों की संख्या बताने में भी कतराते हैं।
आवाज सुनकर भाग जाते हैं बदमाश
खटारा वाहनों से जब बदमाशों को पकडऩे के लिए पुलिस पहुंचती है तो इससे पहले खटारा वाहन की आवाज बदमाशों के कान में गूंजती है। तब तक वहां से बदमाश आसानी से फरार हो जाते हैं। जो वाहन कबाड़ हो चुके हैं उनमें सभी प्रकार के छोटे-बड़े वाहन शामिल हैं। जिनका इस्तेमाल अक्सर इमरजेंसी के वक्त ही किया जाता है। ऐसे में वाहनों का फिट नहीं होना एक गंभीर विषय है।
जुगाढ़ पर पूरा सिस्टम
पुलिस अधिकारियों से जब पूछा गया कि जिले में कितने सरकारी वाहन हैं। उनमें कितने वाहन 15 साल से पुराने हैं। तो उन्होंने मौन धारण कर लिया। दरअसल, उन्हें खुद इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं है। क्योंकि पूरा सिस्टम जुगाड़ पर चल रहा है। महकमे ने कभी स्थिति में बदलाव की जरूरत ही नहीं समझी, लेकिन अधिकारियों की लग्जरी गाड़ी साल-दो साल पर जरूर बदली जाती है।
30 से अधिक वाहनों की दरकार
अपराध पर नियंत्रण व 13 लाख से अधिक की आबादी को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए जिम्मेवार सिंगरौली पुलिस को वर्तमान में 30 से अधिक वाहनों की जरूरत है। कागज पर अभी छोटे-बड़े व हल्के मिलाकर 95 वाहनों को उपयोगी बताया गया है, जबकि हकीकत इससे कोसों दूर हैं।
डेढ़ लाख चलने के बाद जर्जर हो जाते वाहन
वाहन बिक्री कर रहे कंपनियों का मानना है कि करीब डेढ़ लाख किलोमीटर तक कोई भी गाड़ी सुचारू हालत में होती है। इसके बाद उसे कंडम यानी अनुपयोगी घोषित कर दिया जाता है। ऐसे वाहन किसी भी वक्त धोखा दे सकते हैं। ये वाहन किसी भी हाल में पुलिसिंग के लिए उपयोग में नहीं लाए जा सकते। यही कारण है कि पुलिस के सामने अपराधी वारदात कर फरार हो जाते हैं और हरकत बाद में शुरू होती है।
फैक्ट फाइल:-
– 1.50 लाख किमी चलने के बाद वाहन जर्जर हो जाते हैं।
– 15 लाख से अधिक आबादी की जिम्मेदारी पुलिस पर है।
– 30 से अधिक वाहनों की जरूरत पुलिस को वर्तमान में है।
– 95 छोटे-बड़े वाहनों को चालू हालत में होना बताया गया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो