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सिंगरौली

सारी सख्ती हुई बेकार, काम नहीं पकड़ा रफ्तार, पीडब्ल्यूडी को सौंपे गए निर्माण कार्यों का बुरा हाल

कई बार की हिदायत के बाद भी अधिकारी लापरवाह….

सिंगरौलीJan 22, 2020 / 02:07 pm

Amit Pandey

Singrauli PWD officer negligent even after instruction

Singrauli PWD officer negligent even after instruction

सिंगरौली. पीडब्ल्यूडी को सौंपे गए निर्माण कार्यों का बुरा हाल है। जिले के आला अधिकारियों की सख्ती बेकार साबित हो रही है। क्योंकि निर्माण कार्य रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। कई बार हिदायत के बाद भी विभाग के आला अधिकारी नींद से नहीं जाग रहे हैं। विभागीय अफसरों की लापरवाही का आलम यह है कि निर्माण कार्य करा रही एजेंसियां मनमानी तरीके से गुणवत्ता विहीन निर्माण कराकर बिल भुगतान कर लेती हैं। बता दें कि जिला प्रशासन की ओर से समय-समय पर निर्माण कार्यों की समीक्षा की जाती है लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारी गोलमाल जवाब देकर बहानेबाजी करने में कोई गुरेज नहीं करते हैं। यही कारण है कि निर्माण एजेंसी कछुआ गति से निर्माण कराते हैं। उसमें भी जमकर लापरवाही करते हैं।
गौरतलब है कि जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से जिले में विकास करने के उद्देश्य से वर्ष 2017, 2018 और 2019-20 में कुल 650 निर्माण कार्यों की स्वीकृति देते हुए बजट उपलब्ध कराया गया है। कार्य समय से पूरा हो सके। इसको लेकर आनन-फानन में विभागों की ओर से निर्माण एजेंसियों का निर्धारण भी कर लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद निर्माण की कार्य समय पर पूरा नहीं होना पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। अब हैरान करने वाली बात यह है कि कुछ निर्माण कार्यों में घटिया सामग्रियों का उपयोग कर उसे पूरा करने का का हवाला देते हुए खानापूर्ति कर दिया गया है।
ज्यादातर निर्माण कार्य नहीं हुए शुरू
निर्माण एजेंसियों ने ज्यादातर निर्माण कार्यों को अभी तक में शुरू भी नहीं किया है। एजेंसियों की ओर से स्वीकृत कार्यों में करीब 25 से अधिक कार्यों में श्रीगणेश नहीं हुआ। स्वीकृत 650 कार्यों में केवल 150 कार्य पूरा हो पाए हैं। करीब 500 निर्माण कार्यों को अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। इनमें से ज्यादातर कार्यों को पूरा करने की अवधि महीनों पहले पूरी हो गई है। सूत्र बताते हैं कि विभाग के अधिकारी निर्माण एजेंसियों को छूट दे रखा है। ऐसा मानना है कि जब तक में संभव हो सके निर्माण कार्य को पूरा करें।
विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत
देखा जाए तो जितने भी निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी को सौंपे गए हैं। उसमें अधिकारी व निर्माण एजेंसियों की मिलीभगत बताई जा रही है। निर्माण करा रहीं एजेंसियों को अधिकारियों का पूरा संरक्षण मिला है। यही वजह है कि निर्माण कार्य को पूरा करने में एजेंसियां जानबूझ कर देरी कर रही हैं। यह इसलिए कि निर्धारित समय पूरा होने के बाद महंगाई का हवाला देते हुए नया स्टीमेट लगाकर स्वीकृत राशि में बढ़ोत्तरी कराई जा सके। इसमें विभागों के अधिकारी बड़ा खेला करते हैं।
जो पूरा हो गया उसमें लापरवाही
कलेक्टर के सख्ती के बाद निर्माण एजेंसियों ने कुछ निर्माण कार्य को पूरा दिखाया है लेकिन मौके पर जाकर हकीकत देखा जाए तो निर्माण कार्य कमीशन की भेंट चढ़ गए हैं। ऐसा साबित होता है कि निर्माण एजेंसियों के राशि में कटौती किया गया है। इसलिए बेहतर निमार्ण कार्य कराने में लापरवाही बरती गई है। यदि इसका बारीकी से जांच कराई जाए तो निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की लेप उजागर हो सकती है। इन्हीं एजेंसियों को नए कार्यों को भी सौंप दिया गया है।
600 करोड़ का स्वीकृत है बजट
डीएमएफ मद से पिछले तीन वर्षों में छह सौ करोड़ रुपए से अधिक का बजट निर्माण कार्यों के लिए स्वीकृत हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि करीब 450 करोड़ से अधिक का निर्माण कार्य पूरा होने का इंतजार कर रहा है। इसमें अधिकतर निर्माण कार्यों को पीडब्ल्यूडी के जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं छोटे निर्माण को पूरा करने के लिए संबंधित विभाग को जिम्मा मिला है। मॉनीटरिंग नहीं होने के कारण अधिकारी से लेकर निर्माण एजेंसी तक लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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