कंपनी प्रबंधन ने हेल्पर कैटेगरी के उन विस्थापितों की मांगों को लेकर सकारात्मक रूख अपनाया जिनकी जमीन कंपनी की ओर से अधिगृहित की गई है। कंपनी ने उन्हें काम पर वापस लेने में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। बता दें कि वर्ष 2014 में उच्चतम न्यायालय की ओर से कंपनी के कोल ब्लॉक को खारिज कर दिया गया था।
इसके बावजूद कंपनी ने अत्यधिक महंगे दर पर स्थानीय कोयला खदानों से कोयला खरीद कर अपने प्लांट का संचालन जारी रखा लेकिन अब पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं मिल पाने की वजह से 1200 मेगावाट क्षमता का प्लांट 250 से 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन तक सीमित हो गया है।
इसी के मद्देनजर कंपनी ने कर्मचारियों की छटनी की थी। फिलहाल अब कंपनी प्रबंधन ने उन विस्थापितों को काम पर वापस लेने का फैसला लिया है जिनकी जमीन कंपनी ने अधिगृहित की है। गौरतलब है कि कंपनी से बाहर हुए विस्थापितों ने काम पर वापस बुलाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे।
अब संकट में गैर विस्थापित
इधर कंपनी प्रबंधन में उन कर्मचारियों को बाहर करने का निर्णय लिया है, जो हेल्पर केटेगरी के हैं और कंपनी के विस्थापित नहीं हैं। कंपनी इसके लिए वित्तीय संकट का हवाला दे रही है। कंपनी इस निर्णय को लेकर भी घमासान मचने की संभावना है, लेकिन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प उनके पास नहीं है।
इधर कंपनी प्रबंधन में उन कर्मचारियों को बाहर करने का निर्णय लिया है, जो हेल्पर केटेगरी के हैं और कंपनी के विस्थापित नहीं हैं। कंपनी इसके लिए वित्तीय संकट का हवाला दे रही है। कंपनी इस निर्णय को लेकर भी घमासान मचने की संभावना है, लेकिन कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प उनके पास नहीं है।