शासन स्तर से निर्धारित नीति के तहत जिले की सभी खदानों में खनन की जिम्मेदारी केवल एक ठेकेदार को दिया जाना है। इस बावत प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिकारियों की माने तो ठेका देने के बावत शुरू हुई ऑनलाइन प्रक्रिया में बाहर के कारोबारी ही रुचि दिखा रहे हैं। स्थानीय कारोबारी प्रक्रिया में शामिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। प्रक्रिया के तहत निर्धारित शर्तें इसकी मुख्य वजह हैं।
ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया में शामिल होने के बावत जो शर्तें निर्धारित की गई हैं। वह यहां के ज्यादातर स्थानीय कारोबारी पूरा नहीं करते हैं। जो कुछ पूरा करते भी हैं, उन्हें जबरदस्त प्रतिद्वंदिता के बीच अधिक लागत और कम मुनाफा का मामला समझ में आ रहा है। यही वजह है कि स्थानीय कारोबारी अब रेत के कारोबार में हाथ डालने से कतरा रहे हैं। हालांकि अभी आवेदन के लिए घोषित अंतिम तिथि 8 नवंबर तक का वक्त बाकी है और कारोबारी नीलामी में शामिल हो सकते हैं।
पेटी कांट्रैक्टर के रूप में आएंगे छोटे कारोबारी
माना जा रहा है कि स्थानीय व छोटे कारोबारी एकल ठेका की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पेटी कांट्रैक्टर के रूप में कारोबार में शामिल होंगे। क्योंकि जिले की 58 खदानों में किसी भी ठेकेदार के लिए अकेले खनन कर पाना मुमकिन नहीं होगा। अनुमान है कि एकल व्यवस्था के तहत ठेका पूरा होने के बाद खनन का काम पाने वाला मूल ठेकेदार अन्य छोटे कारोबारियों को अलग-अलग खदानों में खनन का कार्य अपने स्तर पर दे देगा।
स्थानीय कारोबारियों की राह में ये शर्तें बनी रोड़ा
– प्रक्रिया में शामिल होने के लिए संस्था का टर्नओवर 10 करोड़ होना चाहिए।
– नीलामी के लिए खदानों की कीमत का निर्धारण 25 करोड़ रुपए किया गया है।
– नीलामी में शामिल होने के लिए 25 फीसदी राशि संस्था को जमा करना होगा।
– ठेका आवंटित होने की स्थिति में 50 फीसदी राशि जमा करना निर्धारित है।
फैक्ट फाइल
तीनों तहसील में कुल 58 खदानों की संख्या
सभी खदानों की क्षमता 20 लाख घन मीटर
खदानों में रेत की कुल कीमत 25 करोड़ रुपए