प्रवासी श्रमिकों को रास नहीं आ रहा प्रशासन का प्लान, जानिए क्या है वजह
कंपनियों में खुले नियुक्ति की राह तो फिर बने बात .....

सिंगरौली. लॉकडाउन के दरम्यान परदेश से घर लौटे प्रवासी श्रमिकों को उनके गांव व जिले में ही रोजगार उपलब्ध हो सके। जिससे वह दोबारा परदेश जाने की नहीं सोचें। इस उद्देश्य को लेकर प्रशासन की ओर से नरेगा के तहत काम तो उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन वह अपर्याप्त साबित हो रहा है। खासतौर पर उन प्रवासियों को रोजगार मुहैया नहीं हो पा रहा है, जो स्किल्ड हैं।
रोजगार देने के लिए जिला पंचायत व जनपद पंचायतों में बनाए गए कंट्रोल रूम में जिस तरह की कॉल आ रही है। उससे कुछ ऐसा ही मालूम पड़ता है कि 80 फीसदी लोग फावड़ा व कुदाल नहीं चलाना चाहते हैं। जाहिर है ऐसे में प्रशासन को कोई दूसरा विकल्प तलाश करना होगा। जिले में संचालित संविदा सहित स्थाई कंपनियां विकल्प बन सकती हैं। जिले में संचालित कई कंपनियों में वर्तमान में स्किल्ड और नॉन स्किल्ड युवाओं की भर्ती की जा रही है।
प्रवासी मजदूरों के बजाए बाहरी लोगों को ज्यादा तवज्जो दिया जा रहा है। प्रशासन कंपनियों में होने वाली भर्ती में दखल देकर स्किल्ड प्रवासियों को रोजगार दिलाए तो तय है कि प्रवासियों को बाहर जाने से रोका जा सकता है। फिलहाल प्रशासन के अधिकारियों की दलील है कि उनकी ओर से इसको लेकर तेजी के साथ काम किया जा रहा है। जल्द ही कोई न कोई विकल्प तलाश लिया जाएगा।
पोर्टल पर हो रहा पंजीयन
कलेक्टर राजीव रंजन मीणा से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने स्किल्ड प्रवासियों के रोजगार को लेकर आ रही समस्या को स्वीकार किया। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से ऐसे प्रवासियों के लिए पोर्टल शुरू किया गया है। पोर्टल के माध्यम से पंजीयन किया जा रहा है। स्किल्ड प्रवासियों को जल्द ही रोजगार दिलाया जाएगा। जरूरत पड़ी तो कंपनियों से भी बात की जाएगी।
अब तक 50 हजार श्रमिक दिवस में दे चुके काम
अधिकारियों के मुताबिक बाहर से आए प्रवासियों को नरेगा के तहत काम देने का सिलसिला जारी है। लॉकडाउन के दौरान पिछले डेढ़ महीने में 50 हजार से अधिक श्रमिक दिवस में काम दिया जा चुका है। गौरतलब है कि लॉकडाउन में शुरू से लेकर अब तक करीब 30 हजार से अधिक प्रवासी जिले में आ चुके हैं, जिन्हें यहां रोजगार देने की कवायद जारी है। दावा है कि जल्द ही सभी स्किल्ड प्रवासियों को भी रोजगार मुहैया करा दिया जाएगा।
अब दोबारा बाहर नहीं जाना चाहते ज्यादातर प्रवासी
दूसरे जिलों व राज्यों से लौटे प्रवासियों में से ज्यादातर लोग अब बाहर नहीं जाना चाहते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक 60 फीसदी लोगों का यह कहना है कि उन्हें यहां रोजगार मिले तो वह दोबारा बाहर नहीं जाएं। 18 फीसदी लोग स्थाई नौकरी होने के चलते दोबारा जाने की बात कर रहे हैं। जबकि 12 फीसदी लोग यह तय कर चुके हैं कि अब उन्हें किसी भी हाल में नहीं जाना है। करीब 10 फीसदी लोग असमंजस की स्थिति में हैं।
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