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MP के इस जिला अस्पताल में डॉक्टर से पहले टकरा जाते हैं दलाल, जानिए सरकारी इलाज की कड़वी हकीकत

locationसिंगरौलीPublished: Dec 09, 2017 06:03:09 pm

Submitted by:

suresh mishra

हाय रे अस्पताल: जिला अस्पताल में दिनभर चक्कर काटते रहते हैं क्लीनिक और मेडिकल स्टोर के दलाल

Story of District hospital singrauli

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सिंगरौली। काका, आप परेशान न हों। आपको दवाएं मिल जाएंगी और मरीज को कुछ नहीं होगा। सरकारी अस्पताल का हाल तो आप देख ही रही हैं, यहां मरीजों का इलाज तक ठीक से नहीं करते हैं। तो दवाएं क्या देंगे? मैं आपको प्राइवेट मेडिकल में लेकर चलता हूं। वहां अच्छी दवाएं मिलती हैं। यह बोल सरकारी अस्पताल के बाहर खड़े दलाल के हैं। जिला अस्पताल के बाहर प्राइवेट क्लीनिक, मेडिकल, एक्स-रे और पैथॅलाजी संचालक ने अपने-अपने दलाल फिट कर रखे हैं।
यह सरकारी अस्पताल में खड़े होकर मरीजों को अपनी सेटिंग वाले क्लीनिक व मेडिकल में ले जाते हैं। इसके एवज में उन्हें मोटा कमीशन मिल जाता है। इसकी भरपाई भी वह मरीजों के बिल में जोड़कर करते हैं। इस खेल में मरीज को राहत पहुंचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में नियुक्त कई स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं। शुक्रवार को जब पत्रिका रिपोर्टर ने जिला अस्पताल में इसका रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है।
ओपीडी से लेकर वार्ड तक सक्रिय
पत्रिका टीम शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंची। वहां निजी अस्पताल, मेडिकल स्टोर संचालक व एक्स-रे संचालक के कई दलाल ओपीडी और वार्डों में सक्रिय नजर आए। वे यहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से बात करते दिखे। उनकी शह पर मरीजों और उनके परिजनों को बरगलाते नजर आए। भले ही अंदर वार्ड में मरीज भर्ती हैं मगर, वहां स्वास्थ्यकर्मियों की नहीं बल्कि दलालों की चलती है।
…और तय हो गया सौदा
यह सब चल ही रहा था कि दोपहर करीब 1.55 बजे पेट दर्द से पीडि़त एक मरीज को उसके परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां पहुंचते ही उसके सामने एक दलाल आ गया। दलाल मरीज के परिजनों को अलग ले जाकर कमीशन की बात करने लगा। रम्पा गांव से आए रामप्रताप को दलाल समझाने लगा कि अभी दवाएं यहां नहीं मिलेंगी। मेरे साथ चलो दवाएं दिलवाता दूंगा। परिजनों को दलाल पर भरोसा हो गया। उसके कहने पर वे प्राइवेट मेडिकल में चले गए।
स्वास्थ्य अधिकारियों को सब पता है
जिला अस्पताल में यह खेल आए दिन चलता रहता है। अधिकारियों को भी इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन कोई दखल नहीं देता। कई बार मामला सामने आ जाने के बाद भी अधिकारी दलाल और स्टाफ पर एक्शन लेने से कतराते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही कुछ लोगों ने सिविल सर्जन से शिकायत भी की थी, लेकिन मामले में कुछ नहीं हुआ।
केस-1
शुक्रवार को मकरोहर गांव के आदील की पत्नी तंजीम को तेज बुखार आई। दोपहर २ बजे उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर परिजन पहुंचे। डॉक्टर को दिखाया। इसके बाद दलालों का खेल शुरू हो गया। दवाएं कहां मिले यह दलाल तय करता है। उसने पीडि़त के पति से बात कर निजी मेडिकल में ले जाने की सलाह दी। इसके बाद दोनों मरीज के परिजन को लेकर निजी मेडिकल लेकर चले गए।
केस-2
चिनगी टोला के राम भवन की पत्नी पूनम को तेज प्रसव पीड़ा हुई। वह अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। पत्नी को जिला अस्पताल में भर्तीकरा दिया लेकिन दवाएं नहीं मिली। इतने में एक दलाल प्रसूता के परिजन को निजी मेडिकल स्टोर पर ले गया। जहां से उसने दवाएं खरीदी।

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