ये है मान्यता
व्रत के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि हरितालिका तीज व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था। पार्वती के तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस ध्येय को ध्यान में रखकर सुहागिन महिलाओं ने अक्षय सौभाग्य के लिए श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ हरितालिका तीज का व्रत रखा। मोरवा बस स्टैंड स्थित शिव मंदिर समेत सभी शिवालयों में पूजा अर्चना के लिए महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही।
व्रत के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि हरितालिका तीज व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था। पार्वती के तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस ध्येय को ध्यान में रखकर सुहागिन महिलाओं ने अक्षय सौभाग्य के लिए श्रद्धा, लगन और विश्वास के साथ हरितालिका तीज का व्रत रखा। मोरवा बस स्टैंड स्थित शिव मंदिर समेत सभी शिवालयों में पूजा अर्चना के लिए महिलाओं की भारी भीड़ लगी रही।
हरितालिका तीज की सुनाई कथा
शाम को सुहागिनों ने नए वस्त्र पहन व सोलह श्रृंगार कर शिवालयों में भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश भगवान की विधि विधान से पूजा-अर्चना की। माता पार्वती को महिलाओं ने सुहाग का सामान चढ़ाया। पूजन अर्चना के बाद समूह में एकत्र महिलाओं को हरितालिका तीज की कथा भी सुनाई गई। सोमवार को सुहागिनों का मुख्य व्रत हरितालिका की उत्तम पूजन तिथि को लेकर इस बार थोड़ा संशय बना रहा। कुछ पंचाग एक सितंबर तो कुछ महत्वपूर्ण पंचाग 2 सितंबर को तीज व्रत बता रहे थे लेकिन महिलाओं ने सोमवार को व्रत रखा।
शाम को सुहागिनों ने नए वस्त्र पहन व सोलह श्रृंगार कर शिवालयों में भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश भगवान की विधि विधान से पूजा-अर्चना की। माता पार्वती को महिलाओं ने सुहाग का सामान चढ़ाया। पूजन अर्चना के बाद समूह में एकत्र महिलाओं को हरितालिका तीज की कथा भी सुनाई गई। सोमवार को सुहागिनों का मुख्य व्रत हरितालिका की उत्तम पूजन तिथि को लेकर इस बार थोड़ा संशय बना रहा। कुछ पंचाग एक सितंबर तो कुछ महत्वपूर्ण पंचाग 2 सितंबर को तीज व्रत बता रहे थे लेकिन महिलाओं ने सोमवार को व्रत रखा।