जिला प्रशासन ने टीएचडीसी को निर्देशित किया है कि वह पहले विस्थापन की प्रक्रिया पूरी करे। इसके बाद खनन की अनुमति व आवंटित कोल ब्लॉक पर कब्जा दिया जाएगा। अपर कलेक्टर डीपी बर्मन के मुताबिक कंपनी की ओर से अभी 30 फीसदी से अधिक लोगों को मुआवजा तक नहीं दिया गया है।
इसके अलावा अभी कंपनी को विस्थापन के लिए कालोनी बनाने सहित अन्य कई कार्य करने बाकी हैं। बताया कि इसमें अभी कम से कम एक वर्ष का समय लग सकता है। गौरतलब है कि टीएचडीसी को अमिलिया कोल ब्लॉक आवंटित है। कोल ब्लॉक में आने वाले पिडऱवाह गांव को विस्थापित करना है। इसमें करीब 576 परिवार शामिल हैं।
खनन का जिम्मा बिड़ला ग्रुप को
टीएचडीसी के अधिकारियों के मुताबिक खनन का जिम्मा बिड़ला ग्रुप को मिला है। पिछले वर्ष दिसंबर में पूरी की गई फाइनल बिडिंग में बिड़ला ग्रुप को 821 रुपए प्रति टन की दर में खनन की जिम्मेदारी दी गई है। खनन के लिए एजेंसी तय होने के बाद ही ब्लॉक से जल्द कोयला निकाले जाने की उम्मीद जगी थी।
टीएचडीसी के अधिकारियों के मुताबिक खनन का जिम्मा बिड़ला ग्रुप को मिला है। पिछले वर्ष दिसंबर में पूरी की गई फाइनल बिडिंग में बिड़ला ग्रुप को 821 रुपए प्रति टन की दर में खनन की जिम्मेदारी दी गई है। खनन के लिए एजेंसी तय होने के बाद ही ब्लॉक से जल्द कोयला निकाले जाने की उम्मीद जगी थी।
प्रतिवर्ष निकलेगा 5.4 मिलियन टन कोयला
अमिलिया कोल ब्लॉक में खनन करने वाली कंपनी को प्रतिवर्ष 5.4 मिलियन टन कोयला निकालना होगा। यह कोल ब्लॉक 1180 हेक्टेयर में है। यहां से निकलने वाला कोयला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिला में बन रहे खुर्जा पॉवर प्लांट में भेजा जाएगा। वहां पॉवर प्लांट का काम चल रहा है। इससे मध्य प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष 90 करोड़ का राजस्व व स्थानीय युवाओं को रोजगार की राह खुलेगी।
अमिलिया कोल ब्लॉक में खनन करने वाली कंपनी को प्रतिवर्ष 5.4 मिलियन टन कोयला निकालना होगा। यह कोल ब्लॉक 1180 हेक्टेयर में है। यहां से निकलने वाला कोयला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिला में बन रहे खुर्जा पॉवर प्लांट में भेजा जाएगा। वहां पॉवर प्लांट का काम चल रहा है। इससे मध्य प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष 90 करोड़ का राजस्व व स्थानीय युवाओं को रोजगार की राह खुलेगी।