व्यावसायिक प्लाजा में लोगों ने बड़े ही उत्साह के साथ दुकान शुरू की, लेकिन सारा उत्साह अब ठंडा पड़ गया है। वजह चंद वर्षों में जर्जर हो चुकी प्लाजा की बिल्डिंग है। निर्माण के करीब 10 वर्षों में ही प्लाजा इस स्थिति में पहुंच चुका है, जहां दुकानदार बैठने में डरते हैं और ग्राहक वहां जाने में। प्लाजा का कौन से हिस्सा कब भरभरा कर गिर जाए, इस भय से वहां बहुत कम ही ग्राहक जाते हैं। नतीजा दुकानदारों का व्यवसाय लगभग चौपट हो गया है।
एक महीने तीसरी बार गिरा छज्जा
प्लाजा की जर्जर अवस्था का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि एक महीने में तीसरी बार बिल्डिंग का छज्जा टूटकर गिरा है। बिल्डिंग के अलग-अलग स्थानों पर छत टूट कर गिरी है। गनीमत केवल इतनी रही कि इन तीनों घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ है।
प्लाजा की जर्जर अवस्था का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि एक महीने में तीसरी बार बिल्डिंग का छज्जा टूटकर गिरा है। बिल्डिंग के अलग-अलग स्थानों पर छत टूट कर गिरी है। गनीमत केवल इतनी रही कि इन तीनों घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ है।
180 दुकान, संचालित केवल 52
व्यावसायिक प्लाजा के निर्माण से लेकर आवंटन तक में नगर निगम की ओर से इस कदर लापरवाही की गई कि वहां की 180 दुकानों में से केवल 52 दुकानों का प्रयोग हो रहा है। जर्जर भवन के डर से कोई भी व्यवसायी अब वहां की दुकानों में अपना कारोबार शुरू नहीं करना चाहता है।
व्यावसायिक प्लाजा के निर्माण से लेकर आवंटन तक में नगर निगम की ओर से इस कदर लापरवाही की गई कि वहां की 180 दुकानों में से केवल 52 दुकानों का प्रयोग हो रहा है। जर्जर भवन के डर से कोई भी व्यवसायी अब वहां की दुकानों में अपना कारोबार शुरू नहीं करना चाहता है।
नगर निगम के अधिकारी बने हैं उदासीन
प्लाजा की इस स्थिति को लेकर नगर निगम के अधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। अधिकारियों की उदासीनता का कारण तो अधिकारी ही जाने, लेकिन हाल ही में व्यापारियों ने उनसे तीन बार प्लाजा की मरम्मत कराने की गुजारिश की है। व्यापारियों ने ज्ञापन भी सौंपा है लेकिन नतीजा सिफर रहा है।
प्लाजा की इस स्थिति को लेकर नगर निगम के अधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। अधिकारियों की उदासीनता का कारण तो अधिकारी ही जाने, लेकिन हाल ही में व्यापारियों ने उनसे तीन बार प्लाजा की मरम्मत कराने की गुजारिश की है। व्यापारियों ने ज्ञापन भी सौंपा है लेकिन नतीजा सिफर रहा है।